❤️तुम और मेरे सपने❤️
तुम ऐसे क्यूं लगते हो ?
क्यों तुम कभी अपने तो कभी सपने से लगते हो ?
कभी संकोच तक न होता है तुम पर हक जताने में ,
और कभी डर सा लगता है तुम्हे कुछ भी बताने में ।
किस चीज़ का प्रयोग करू, मंत्रो का या जादू टोने का ?
खत्म हो जाए भय ये हर वक्त तुम्हे खोने का ।
कभी तो समझ जाती हूं आंखों से हालात तुम्हारी,
तो कभी देर हो जाती है , समझने में सीधी भी बात तुम्हारी।
आंखों में धूल है मानों, नजारों का पता नहीं चलता ,
हर बात समझने वाली लड़की को अब तेरे इशारों का पता नहीं चलता।
थक गई हूं समझते समझते, पास बिठा कर समझाओ ना,
जो कुछ है दिल में तेरे , अल्फाजो में बतलाओ ना ।
क्या तुम भी मुझे कभी अपने सपनों में लाते हो ?
क्या कभी मेरे पसंदीदा गानों को गुनगुनाते हो ?
मैं तो महसूस करती हूं तुम्हे , फाल्गुन के इन हवाओं में ,
बोलो तुमने मांगा है कभी मुझे शिव से अपने दुवाओं में ?
तेरे बोले बातों से सुख-दुख मैं सब भूल जाती हूं ,
जाती हु जब भी शिव के सामने , हर बार तुम्हें ही मांग आती हूं ,
हर बार तुम्हें ही मांग आती हूं......-
Hello everyone Raj Nandani this side...Here you will always get... read more
??
हां मैं उसे बोल दूं..
राज़ सारे खोल दूं ..
पर क्या हो
जब मुंह वो अपना मोड़ ले ?
प्यार तो छोड़ो ही और दोस्ती भी तोड़ ले 🙃??
जब दिल मुझसे ही सवाल करेंगे..
बोलो उस वक्त क्या करूंगी , जब नयन मेरे बवाल करेगें ?
हां मुश्किल हैं थोड़ा मन में बात रखना ,
पर इस से मुश्किल है उस अकेली रात जगना...
तो चलो इस अधूरी आश को कुछ दिन के लिए तोड़ते है...
वो जनाब
चलो अब सब शिव पर छोड़ते है.....-
Sorry यार 😔
गलती खुद की थी शिकायत खुदा से कर बैठे ,
जब बात सुनी उस शक्स की तो दिलों दिमाग अड़ बैठे।
सीके के दो पहलू थे एक को ही क्यूं देखा मैने ?
बात लगी थी उसके भी दिल पर , क्यूं किया अनदेखा मैंने ?
हर किसी से नहीं उसे, मुझसे एक छोटा सा आश था ,
ना जा पाई मैं उस तक जब बुरा वक्त उसके पास था ।
सही है खुद को गलत कहना यहां, आखिर गलती मेरी रही होगी ।
गुमान था मुझ पर उसको वो भी बहुत कुछ सही होगी।
दिया दुःख अचानक से , रब को भी सबर ना हुआ ,
ज़रुरत थी जब उसे मेरी तो मुझे ही ख़बर ना हुआ..
पर याद रख ये दोस्त मेरे...
उस रात रोई तू ,
तो सोई मैं भी तो नहीं।
बात चुभी है मेरी तो चल अब चुप रह लूंगी मैं ,
पर टूट जाऊंगी यार यदि तुझे भी खो दूंगी मैं...
क्षमा कर अब यार मुझे , गलती मैंने माना ना ,
विनती है तुझसे यार , बस छोड़ कर तू जाना ना ,
बस छोड़ कर तू जाना ना.....-
❤️इश्क़❤️
सुबह की पहली, रात की आखरी खयाल में आते हो,
जनाब अब तो आप मेरे हर सवाल आते हो ।
सवाल हो मुझसे कोई तो अपने मन पे जोर ना देना,
मिलेंगे जवाब सारे तुम्हे, एक बार गले से लग लेना ।
ऊंची आवाज सुन कर तेरी , दिल के टुकड़े हजार हूई,
संभाला खुद को लेकिन आंखे गंगा समान हूई ।
अब तो आने लगे है दिन-रात तेरे ही सपने ,
सोचती हूं मांग लूं , तुझे शिव से अपने।
लिखूं हर दुआ में नाम तेरा जो हो इजाज़त तेरी ओर से ,
सलामती रहेगी मेरी तू दे यदि हिफाज़त तेरी ओर से ।
एक तरफा मुहोबत का दो तरफा छोर नहीं होता ,
असर हम पर ही होता है , कुछ उस ओर नहीं होता ।
तेरी बातों का मुझपे इतना असर क्यूं हैं ?
तुझे पाया भी नहीं , फिर ये खोने का डर क्यूं है ?
क्या तुम भी कभी मेरे बारे में सोचा करते हो ?
मिलने की क्या बहाने नई-नई खोजा करते हो ?
चलो इस रात एक और राज़ बताएं देती हूं ,
बहाने है ये कविताएं , मैं तो बस तुम्हे आवाज़ देती हूं
मैं तो बस तुम्हे आवाज़ देती हूं.....
सुबह की पहली, रात की आखरी खयाल में आते हो,
जनाब अब तो आप मेरे हर सवाल आते हो ।-
Move On......
अचानक से नींद भरी आंखों में आसूं का भरना,
सच है आसान नहीं होता Move on करना।
जानती हूं मैं भी ये सब एक झमेला है,
कैसे समझाऊं सबको मन में यादों का मेला है।
"भूल चुकी मैं उसे", सबको लगती ये सचाई है,
कौन बताएं उन्हें की उनपर कितनी कविताएं रचाई है।
याद करने से याद आता है हर छोटी बड़ी बाते,
कभी अकेले तो कभी दोस्तो के साथ वाली मुलाकाते।
भूलने लगती हूं तुझे तो ये सावन आ जाता है,
नहीं आता ये अकेला संग तेरी यादों को लाता है।
तु आया ना था जीवन में, जीवन मेरा उल्लास में था,
कम से कम मेरा दिल तो, मेरे ही पास में था।
सच कहूं तो अब लगता है सब कुछ एक पहेली है,
शिव जाने किनके हाथों में लिखी मेरी हथेली है।
हां नहीं जाना फिर से , मुझे तेरे जीवन में ,
और तुम भी ना आया करो मेरे इस मन के वन में ।
सुना हैं नफ़रत है तुम्हे अब मेरे नाम से,
और मैं लगाओ कर बैठी संग बिताए उस शाम से।
खैर इन बीते सालों में....
खुद को बदला और बदले अपने सपने,
कुछ अपनो को गैर होते देखा तो कुछ गैर हुए अपने।
भुला दूंगी तुझे कुछ दिनों में कोशिश मेरी जारी है,
और जिस दिन सफ़ल होगा ये, उस दिन से तेरी बारी है,
उस दिन से तेरी बारी है.....-
हाय! इस चांद के भी बटवारे हो गए,
ईद पर तुम्हारा और करवाचौथ पर ये हमारे हो गए....
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🫂एक दोस्त को ना कहना🥺
कई बार मां-पापा से तक झूठ कहना पड़ता है,
एक दोस्त को भी नजाने कितना सहना पड़ता है।
यार आज गाड़ी चाहिए तेरी, तो मैं ना नहीं बोल पाता हूं,
घर पर मांगने पर, मां की तानों से पापा की डाट तक सब खाता हूं।
कुछ इस तरह मैं अपनी दोस्ती निभाता हूं.......
अरे, इन दोस्तो के हर रोज़ नए प्लान बन जाते हैं,
अब कौन समझाए इन्हे की हमारे घरवालों में वो बातें नहीं है।
तो अगली बार.......
जब तुम कुछ मांगो और यदि मैं दे ना पाऊंगा,
और यदि तेरे अधूरे कार्य को मैं पूरा कर ना पाऊंगा,
तो डाट लेना भले ही पर तुम ना बैर करना,
यूं छोटी-छोटी बातों पर तुम मुझे ना गैर करना।
याद रखना संग बिताए उस ख़ूबसूरत इतिहास को,
तोड़ना न दोस्ती , मन में रख विशवास को।
और ऐसा नहीं था की मुझे घूमने संग जाना नहीं था,
मजबूरियां थी कुछ मेरी , वो झूठा बहाना नहीं था।
यार तेरे लिए ही मैं सबको समझाता हूं,
और कुछ इस तरह मैं अपनी दोस्ती निभाता हूं.....-
🙃आसमां और मैं🙃
आज आसमा में एक तारा था,
सुंदर , शांत मेरे शिव के समान प्यारा था।
कुछ देर बाद उसे टूटते देखा,
मानो किसी अपने को छूटते देखा।
भगवान सच है की कोई साथ नहीं जाता,
पर अब तो कोई वेदना भी नहीं दर्शाता।
टूट रहा था खुद वो पर सबकी इक्शाओ पर खड़ा था,
ऐसा लग रहा था मानो घर का सबसे बड़ा था।
अपने घर का मुखिया होना आसान नहीं होता,
सबकी तबियत पूछने वाले के तबियत पर किसी का ध्यान नहीं होता।
देख रही थी ये सब मैं छत पर लेटे हुए,
मन में आ रहे सवालों को समेटे हुए।
पूछा मैंने अंबर से क्या तुम्हे दुख नहीं होता ?
टूटते है अपने तेरे तो क्या तेरा मन नहीं रोता ?
कहा अंबर ने सुनो सखी यही चलता आ रहा है जमाने से,
तुम्हीं बताओ क्या दुःख घटित होगा मात्र सबको दर्शाने से ?
बहुत दुर हूं मैं तुमसे नहीं आसरा मुझे सहारो का,
बोलों कितनो का दुख मनाऊं एक,दो या हजारों का ?
एक के कारण मैं लाखों को खो नहीं सकता,
हां सखी, इसीलिए मैं हर रोज रो नहीं सकता।
सुने से इस आसमां के ये तारे ही तो अलंकार हैं,
इसीलिए दर्द दिखाना नहीं मुझे छिपाना ही स्वीकार हैं।
इतना सुनने के बाद मैं अंदर से डोल गई,
माफ़ करें हे! अंबर मुझे मैं ये सब क्या बोल गई....
आज आसमां में एक तारा था,
सुंदर,शांत मेरे शिव के समान प्यारा था 💕
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कुछ तो बात है इन रातों में ,
केवल सच्चाई होती है हर बातों में 🙃-