इक अरसा हुआ के बात नही हुईंकितने दिन हुए मुलाक़ात नही हुईमौसम तो ज़ज़्बातों का बिगड़ता है हर रोज़कितना अरसा हुआ के बरसात नही हुई -
इक अरसा हुआ के बात नही हुईंकितने दिन हुए मुलाक़ात नही हुईमौसम तो ज़ज़्बातों का बिगड़ता है हर रोज़कितना अरसा हुआ के बरसात नही हुई
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मैंने काफी देर तलक देखा उसे ,अलसाई आवाज में वो कुछ बोलीवो क़िताब जिसे रख कर भूल गया था मैं,कितने अरसे बाद उसने आँखे खोली -
मैंने काफी देर तलक देखा उसे ,अलसाई आवाज में वो कुछ बोलीवो क़िताब जिसे रख कर भूल गया था मैं,कितने अरसे बाद उसने आँखे खोली
कही ना कहीकोई ना कोई उम्मीद रहती है हमेशा ........ -
कही ना कहीकोई ना कोई उम्मीद रहती है हमेशा ........
बहुत दिनों बाद तुम्हारे बारे में लिखना ऐसा है जैसे कोई मुसाफिर कई महीनों बाद घर पहुँचे -
बहुत दिनों बाद तुम्हारे बारे में लिखना ऐसा है जैसे कोई मुसाफिर कई महीनों बाद घर पहुँचे
एक कतरा इंतजार थोड़ी सी तकरार ढेर सारा प्यार है तुम पर उधार मेरे यार मेरे यार -
एक कतरा इंतजार थोड़ी सी तकरार ढेर सारा प्यार है तुम पर उधार मेरे यार मेरे यार
जैसे शाम उतर जाती है होले से पहाड़ो के आँगन में वैसे ही रात निकल आती है सज कर तारो से ठीक उसी पहर निकलता है लम्हों का कारवां थम ही जाती मेरी रात होती है सिर्फ तेरी बात -
जैसे शाम उतर जाती है होले से पहाड़ो के आँगन में वैसे ही रात निकल आती है सज कर तारो से ठीक उसी पहर निकलता है लम्हों का कारवां थम ही जाती मेरी रात होती है सिर्फ तेरी बात
तुम नदी हो बहती मैं बसा किनारे का गाँव मैं रेगिस्तान सा तपता तुम पीपल की छाँव -
तुम नदी हो बहती मैं बसा किनारे का गाँव मैं रेगिस्तान सा तपता तुम पीपल की छाँव
देखो तुमने धूप को रख छोड़ा है छावं में देखो कोई काँटा न लग जाए तुम्हारे पांव में -
देखो तुमने धूप को रख छोड़ा है छावं में देखो कोई काँटा न लग जाए तुम्हारे पांव में
जैसे बावरी कोई जोगन फिरे है जैसे रात हर पल ख़यालो से घिरे है साँसों को जैसे लग जाती है साँसे तेरी याद के न जाने कितने सिरे है -
जैसे बावरी कोई जोगन फिरे है जैसे रात हर पल ख़यालो से घिरे है साँसों को जैसे लग जाती है साँसे तेरी याद के न जाने कितने सिरे है
कितनी बेचैन रही रात बस इक तेरे ख़्याल के बाद फिर कोई सवाल नही बचा इक तेरे सवाल के बाद -
कितनी बेचैन रही रात बस इक तेरे ख़्याल के बाद फिर कोई सवाल नही बचा इक तेरे सवाल के बाद