क्यूँ बे खौफ दरिंदे हैँ इस वतन मे ?
क्यूँ घायल परिन्दे हैँ इस चमन मे ?
बलात्कार चिताओं की राख ठंडी होने नहीं देते
क्यूँ सब नाकाम रहे हैँ इस जतन मे ?
हैवानियत मे क्यूँ ढूंढते हो हिन्दू मुस्लिम ?
क्यूँ अपाहिज कंधे हुए हैँ दफन मे ?
क्यूँ बलात्कारियों का सम्मान गजब ढ़ा रहा है ?
बहन बेटियों के नाम लिख दिये हैँ कफ़न मे
आखिर क्यूँ अंधे गुंगे बहरे गवाह हो गये ?
क्यूँ गैरत को झोंक दिया है इस हवन मे
क्यूँ दहशत मे है मुल्क की फिजा ?
जाने और कितनी कुर्बानी देनी पडेंगी अमन मे ?-
🌲 मेरी लि... read more
हम पे वो कभी जान दिया करती थी
हम जो कहते थे वो मान लिया करती थी
आज पास से गुजर जाती है अनजान बनकर
जो कभी अँधेरे में भी हमें पहचान लिया करती थी-
कभी काँटो से तो कभी दोस्ती गुलाब से करनी पड़ी
नशा उनकी नज़रों में था फिर भी दोस्ती शराब से करनी पड़ी
यूँ तो दीवाने थे उनके दीदारे हुस्न के दोस्त
वो गैर मज़हब के थे तो दोस्ती हिजाब से करनी पड़ी
-
तो जिंदगी नर्क हो जाती
इसलिए जहाँ हो वहीं स्थिर से रहो
कोई जरूरत नहीं है आने की 🙄-
**एक सलाम कलाम के नाम**
चेहरे पर एक गज़ब का रुबाब लिए आँखों मे एक कामयाब भारत का ख्वाब लिए वो जीता रहा बस देश के लिए l न सत्ता की चाहता थी न कुर्सी का लालच था l था तो बस कुछ देश की लिए करने का जज्बा और एक शक्तिशाली भारत का निर्माण करना l न मज़हब का गुलाम था, न गफलत मे लेटा था वो शख़्स तो बस भारत माँ का बेटा था l था नेक बाँदा वो इस्लाम का पर कभी न ऐंठा करता था, जात और मज़हब को परे रख संत के चरणों मे भी बैठा करता था l एक हाथ मे गीता तो दूजे में क़ुरान रखा, फक्र की बात है इन दोनों से ऊपर उसने हिन्दुस्तान रखा l आँखों में गज़ब का तेज़ और बालों को दोनों तरफ लटकाए हुए, मानों जैसे भारत माँ के लिए बाँहें फैलाए हुए l नहीं उलझा वो कुर्सियों की राजनीति में अपनी कीमत वो भांप गया, कलम से की शुरुआत और अंतरिक्ष को नाप गया l पाकर ऐसे राष्ट्रपति को देश का सीना भी तन गया, दिलों पे राज़ करते करते वो प्रेरणा का श्रोत बन गया l देश के एक महान शख्सियत को मेरा सलाम, ताउम्र हमारे दिल में रहेंगे आप आदरणीय कलाम l एक अद्भुत शख्सियत को शत शत नमन-
कहना था मुझे इशारों में
क्या सूकून पाया तेरे सहारों में
खुश होने के लिए कोई ख्वाहिश नहीं अब
खुशी है बस तेरी बाँहों के बहारों में
एक अजीब सी कशिश है तेरी इन आँखों मे
देखने को कुछ बचा नही इन नजारों में
की जब से देखा है मैंने तेरे पलकों को झपकते
एक फीकापन लगने लगा कुदरत के सरारों में
For My love, My Better half-
People say that shadows never leave, but in the dark, you also leave.
my father is better than you who never leave me alone-
मोहब्बत में क़सीदे तो गढ़ती रहेंगी महफ़िलें
चेहरे की झुर्रियां प्यारी लगे तो समझ लेना इश्क़ है-
Thanks Reetu Ji For Your support , appreciation & likes
Heartily Thanks-