बेहद प्रिय है मुझे
ये छद्म नाम अपना।
वो छद्म नाम
जो ले आता है मुझे,
अपने अस्तित्व के बेहद करीब।
दे देता है सुकून के कुछ पल
वो हौसला देकर
जिससे भर पाऊँ मैं,
अपनी कलम में स्याही।
डाल पाऊँ अपने विचारों में जीवन।
वरना इतना सहज कहाँ था?
अपने असल नाम से
मुझ जैसो पर तंज कसते
सँकरी मानसिकता के समाज के सामने
अपनी लैंगिक घोषणा की
कहानी लिखना।
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