बहोत कुछ पीछे छूटा है इन हाथों से.. ए ज़िंदगी एक तेरे अलावा..
चल अब तू साथ दे तो फ़िर एक नई शुरुआत करते हैं..।-
Fb :- Rahulsinh Vaghela(Rv)
कुछ यूं मिली नज़रे आपसे.. मेरे दिल की हर एक धड़कन पे अपना निशा छोड़ गईं..,
हम तो पहले से बैठे बिठाए आशिक़ थे आपके.. आपकी लहराती जुल्फें हमे और ज्यादा पागल कर गईं..।-
कुछ यादों का सिलसिला फिर सुरू हो रहा हैं..
लगता हैं इश्क़ नामी हवा फिर दरवाज़े पे दस्तक दे रही हैं..।-
कुछ यूं बिखर रही हैं जुल्फें तेरी.. तेरी आंखों के सामने..
मानो उसे देख मेरे दिल की धड़कने अल्फाज़ लिख रहीं हों तेरे नाम पे..।-
कुछ यूं ही उड़ रही थी जुल्फें तेरी.. मेरे हाथों ने सवार ली..,
कुछ फीके फीके से लग रहे थे होठ तेरे.. मेरे होठों ने छुके उनमें रंगो की महक डाल दीं..।— % &-
कभी मेरी यादों में धर कर लेती हो..
कभी मेरी सांसो पे अपना हक जमा लेती हों..,
कभी मुझे अपनी जुल्फों में उलझा ए रखती हों..
कभी मेरी आंखों की गहराई में समा जाती हो..,
कभी मुझे प्यार से अपने तेज़ तर्रार
गुस्से की वजह बना लेती हों..
कभी मुझे अपनी खिल खिलाती मुस्कान
के पिछे का एक प्यारा सा राज़ बना देती हों..,
कभी मेरा हाथ थाम अपने हाथ की
लकीरे जोड़ लेती हों..
कभी पैरो से पैर मिलाके दो चार क़दम
मेरे साथ चल देती हों..,
माना की ये सब महेज़ एक मेरे ख्वाबों की दुनियां हैं..,
पर उसमें तुम मेरे ख्वाबों की सहेजादी
बन मेरा हाथ अपने हाथ में थाम हर
बार मुझे अपना सहेजादा बना लेती हो..।— % &-
बेह रहीं हैं आखें मेरी तेरी यादों में एक झरने की तरहा..
कोई जाके शमंदर को इतेलाह दो कहीं मीठा ना जाए..।— % &-
कुछ यूं ही उड़ रही थी जुल्फें तेरी मेरे हाथों ने सवार ली..,
कुछ फीके फीके से लग रहे थे होठ तेरे मेरे होठों ने छुके उनमें रंगो की महक डाल दीं..।-
बचपन क्या गया..में मेरी हर एक ख्वाहिशों को गठरी बांध कुएं में डाल आया हूं..,
ए ज़िंदगी..,
अब तो बस घर कि सारी ज़िम्मेदारी या निभालू बस यहीं काफ़ी हैं।-
यूं तो आशिक़ी छोड़े एक ज़माना हों चूका हमें..
पर ना जानें क्यों आज तेरी आंखों के ईस नूर ने मेरे दिल की धड़कने तेज़ करदी..।-