कहा – कहा ढूंढू तुझे !
कहा तुझे मैं पाऊं !!
किस मज़ार पे माथा टेकू मैं !
किस मंदिर दिया में दिया जलाऊ!!-
मै तो यूं ही परेशान था उसे लेकर !
और वो किसी और को लेकर
परेशान होना चाहती है !!-
किसी की जीत देख तुम भयभीत मत होना !
अपने लक्ष्य से तुम विचलित मत होना !!
तुम्हारी हार शायद तुम्हे एक नया रास्ता दिखाएगी !
एक नए पथ पे तुम्हे चलना सिखाएगी !!
हार खुद से कभी घुटने टेक मत देना !
सपनो को निकाल दिल से फेंक मत देना !!
तुम्हारी जिद ही तुम्हे तुम्हारा लक्ष्य दिखाएगी !
तुम्हारी दृढ़ता ही तुम्हे साहसी बनाएगी !!
किसी की जीत पे तुम भयभीत मत होना !
अपने लक्ष्य से तुम कभी विचलित मत होना !!-
जिसे देखो वही मोहब्बत का मारा है !
कोई पूरा रंगोली कोई सिर्फ साड़ी का किनारा है !!
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अंधेरे में होके हम उजाले की तलाश करते है !
जिसने छोड़ दिया हमे उसे पाने की आश करते है !!-
लौट आया है दिल का दर्द फिर एक बार !
लगता है मोहब्बत ने फिर एक अगड़ाई ली है !!-
जब किसी का एक सपना टूटता है ना !!
तो दूसरा देखने में भी डर लगता है !!-
मैं कहूं तो बुरा मत मानना मेरा !
लेकिन मेरे बाद भी तेरे चाहने
वाले बहुत होंगे !
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