Rahul Verma  
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Joined 5 October 2017


Joined 5 October 2017
8 AUG 2020 AT 1:35

मैं सम्भालू इन्हें शीशे की तरह
छूट जाते है,
रिश्ते बनाऊँ हजार
तो लाखो टूट जाते है

मैं गलतियां ना भी करू
तो हो जाती है खता
मेरे अनजाने गालियों से
मेरे दोस्त रूठ जाते है!

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18 MAY 2020 AT 0:36

बडी मुश्किल से मिला हैं
हर शख़्स मुझे

मेरी वफ़ा-ए-मोहब्बत का लिहाज़ रखना ।।

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4 MAY 2020 AT 23:59

हर चेहरा है किताबी और नज़र अल्फ़ाज़

जो फेर लू नज़र तो ग़ज़ल अधूरी रेह जाए ।।

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3 MAY 2020 AT 0:43

मैं लिखू भी तो क्या लिखू

अब तुम मेरे पन्नो में नही समाती हो ।।

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12 AUG 2018 AT 11:53

हर शख्स यहा खुद मै मशगूल है
इमारते ऊची होती जारही और कमरे छोटे ll

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8 FEB 2018 AT 23:17

कश्मकश भरी ज़िन्दगी को दोहराओ
कुछ पन्नो पे मिले अगर खुशमिज़ाज पल उन्हे सुलगाओ,
मंज़िल तो आवाज़ देती है
तुम एक बार फिर से सफर दोहराओ ll

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6 FEB 2018 AT 1:26

खफा खफा से है वो
खफा खफा से है कुछ लोग
जैसे खफा खफा था सुरज दिसम्बर की हर रोज़ ll
खफा खफा सा है वो दिल
खफा खफा सी है बाते
जैसे खफा खफा सा हो रेगिस्ता मे बरसाते ll

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30 JAN 2018 AT 22:30

रास्ता है छोटा जरा आहिस्ता आहिस्ता चलो
मंजिले तो मिल ही जाएगी तुम सफर के साथ चलो ll

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14 JAN 2018 AT 22:17

कभी चलो हाथ पकड़ के किसी अंजान रास्ते,
बहुत हुआ जान पहचान की गली में आना जाना ll

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9 JAN 2018 AT 22:51

रात का अँधियारा भी काट लूँगा,
जो तू कह दे तो हर कुछ बाट लूँगा ll
सूरज की रोशनी की तलाश नहीं मुझे
जो तू मिल जाए तेरे नाम के सहारे ही पूरा जीवन काट लूँगा ll

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