हमने अपने बारे में जरा सोच क्या लिया,
हमारी परछाई ने भी साथ छोड़ दिया !!!-
आजकल बातें यूँ हैं मेरी,
की अपने पर मुझे हजरते ग़ालिब सा गुमान है.!!!
ग़ालिब की तरह मैं भी कर्जे में हूँ,
की मेरा भी किराये का मकान है..!!!-
।।तुमने बिकना है तो बिको ये व्यापार भी हो सकता है ।।
तुम्हे चाहने वाला खरीदार भी हो सकता है।।
अपने दुश्मनों को शक की निगाहों से ना देख।
अपने दुश्मनों को शक की निगाहों से ना देख।
तेरा कातिल तेरा यार भी हो सकता है!!....
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"मै बुरा हूँ तभी तो बुरे वक़्त में काम आता हूँ।
अगर मैं अच्छा होता तो महफ़िल की शान होता..!!!-
इस दौर के इंसानो में वफ़ा ढूंढ रहे हो...
इस दौर के,
इंसानो में वफ़ा ढूंढ रहे हो,
बड़े नादान हो ज़हर की शीशी में दवा ढूंढ रहे हो!!!...-
क्या गलत फेहमी में रह जाने का सदमा कुछ नहीं!
वो मुझे समझा तो सकता था की ऐसा कुछ नहीं
क्या गलत फेहमी में रह जाने का सदमा कुछ नहीं!
वो मुझे समझा तो सकता था की ऐसा कुछ नहीं
इश्क़ से बच कर बंदा कुछ भी नहीं होता मगर.
ये भी सच हैँ इश्क़ में बन्दे का बचता भी कुछ नहीं!!!..-
" क्या मुहब्बत के वादे
क्या वफ़ा के इरादे
रेत की हैं दीवारें
जो भी चाहे गिरा दे "-