Rahul Tiwari   (Befizuliyat)
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Joined 6 May 2018


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1 JUL 2022 AT 21:16

जब दोस्तों से मिले काफी दिन हो गए हो
जब हसना त्यौहार बन जाए
जब कई दिनों से एक फोटो ना खिचाई हो
जब खुद का मन मारना आदत बन जाए
जब किसी के हाल पूछने पर
कुछ सेकंड रुक के " ठीक है " निकले
जब लोग कहे " कहाँ रहता है, दिखता नहीं आजकल "
जब पिता, घर की जिम्मेदारियों में
आपकी भी कुछ साझेदारी की उम्मीद करे
जब जरूरत और जरुरी में फर्क समझ आने लगे
जब रिश्तों के लिए वक़्त नहीं निकलता
जब पता ना हो की ये सब कब तक चलेगा
तब आप ज़िन्दगी के सबसे अहम पड़ाव में होंगे

- Befizuliyat

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10 MAY 2022 AT 20:51

मोहब्बत है तो बाया कर
नहीं है तो फिर जुदा कर

समझना पड़ता है खुद को पहले
औरों से पहले खुद को पढ़ा कर

करे ना अगर कोई कदर तुम्हारी
तो ज़िन्दगी से तुरंत ही दफा कर

कोई नहीं मानता ग़लती अपनी
बिना गलती पर तू भी अड़ा कर

अगर हक है तुम्हारा हक़ जताना
अपने हक़ के लिए सबसे लड़ा कर

- Befizuliyat

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25 APR 2022 AT 21:45


दिलचस्पी से भरा कोई सवाल लगती हो
नज़रे ना हटे आँखों का ऐसा जाल लगती हो

तुम सुंदरता की कोई मिसाल लगती हो
तुम काले लिबास में भी कमाल लगती हो

नखरिले अदाओ में बेमिसाल लगती हो
तीखे शब्दों से भरी मालामाल लगती हो

खुश मिज़ाज़ी से भरा हाल-चाल लगती हो
पाया नहीं ज़िन्दगी का वो मलाल लगती हो

हर वक़्त जिसे सोचूँ वो ख्याल लगती हो
ज़िन्दगी में खुशियों का नयासाल लगती हो ❤️

- Befizuliyat

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12 APR 2022 AT 20:50

मेरे पास बैठो और आज मेरी बात सुनो
दिन की बात छोडो आज मेरी रात सुनो

तुम्हारी फ़िक्र मुझसे ज्यादा, भला कोई करता है क्या
छोडो ये सब, बताओ तुम्हे खोने से कोई डरता है क्या

क्या तुम्हे बिन कहे मेरे बोल समझ नहीं आते
क्या तुम्हे मेरी बातों के मोल समझ नहीं आते

तुम्हे पता है तुमसे मिलने की होती है हसरत कितनी
क्यों तुम्हे समझाने के लिए, होती है मशक़्क़त इतनी

अगर है रिश्ता तो रिश्ता जताना होगा
अहम् हूँ कितना, तुम्हे ये बताना होगा

- Befizuliyat

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4 APR 2022 AT 19:54

उसके वक़्त पर हक़ जताने नए हक़दार आ गए है
अब उसकी शामें सवारने नए किरदार आ गए है

जानता था उसके हर पहलु, हर हिस्से को मैं
वो बदल गई अब उसके नए अवतार आ गए है

पहले बुझा देते थे मिलके नफरत की चिंगारी
अब दिल में नफरत की आग में रफ़्तार आ गई है

ख़ुशी मिले या गम, वो ढूंढ़ती थी सिर्फ मुझे
अब मिलना नहीं होता रिश्तों में दरार आ गई है

कभी हो जाती थी बातों में नोकझोक कोई
अब हर बातों में ग़लतफहमी की दीवार आ गई है

- Befizuliyat

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21 MAR 2022 AT 19:20

मुझे उसे खोना भी जरुरी था
मुझे मेरा होना भी जरूरी था

मालूम था मुश्किल होगी तब अलग होने में
अलग होने का वहम उसके मन में बोना जरूरी था

रास्तें बदल रहे थे हम दोनों के जहाँ
वहाँ उसका हाथ छोड़ना भी जरूरी था

कब तक रहता ज़िन्दगी में गिला इस बात का
जिमेदारी के समंदर में मोहब्बत को धोना जरूरी था

तकलीफ होती है दबाए रखने में ज़ज़्बात
किरदार से छुपकर खुल के रोना भी जरूरी था

- Befizuliyat

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12 MAR 2022 AT 21:09

अब वो बिंदी नहीं लगाती है
ना वो झूमका पहनती है
अब आँखों मे काजल नही होता है
उसकी नज़रे बातें नहीं करती
अब वो होंठो में लाली नहीं लगती है
ना वो लाल दुप्पटा ओढ़ती है
उसके बाल खुले नहीं रहते
ना उसकी जुल्झे लहराती है
अब उसकी बातों में शरारत नहीं होती है
ना वो जवाब देना पसंद करती है
ये कुछ चीज़े थी जो मुझे उसपर पसंद थी
अब हर वो पसंद, मुझे नापसंद है

- Befizuliyat

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27 FEB 2022 AT 19:38

हमारी कहानी का इतिहास अभी बाकी है
तुम्हारे मेरे होने की आस अभी बाकी है

नफरत हुई नहीं है अभी तक तुमसे
तुम्हारे लिए मन में अहसास अभी बाकी है

जला दिए थे जो ख़त हमारे
उसमे मोहब्बत की राख अभी बाकी है

तुमने भुला दिए हर वो पल सुहाने
तुम्हारे दिए ज़ख्म मेरे पास अभी भी बाकी है

गुजरता रहता हूँ तुम्हारी गली से रोज़ाना
मेरी नज़रों को तुम्हारी तलाश अभी भी बाकी है

- Befizuliyat

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26 FEB 2022 AT 10:50

" तेरे होंठों की पहेलियां अब मेरे किसी काम की नहीं
तेरे आँखों की अटखेलियां भी मेरे किसी काम की नहीं
यारी दोस्ती हो रही है अब काँटों से मेरी
तेरे बाग़ों की सहेलिया अब मेरे किसी काम की नहीं "

- Befizuliyat

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21 FEB 2022 AT 19:24

हाँ थोड़ा सही हूँ मतलब थोड़ा गलत भी

हाँ मुझे नहीं पता मुझे क्या करना है
हाँ मुझे फैसले लेने में दिक्कत होती है
हाँ मैं जल्दी निराश हो जाता हूँ
हाँ मुझे अपनी कमियां नज़र आते हुए भी
उन्हें बदल नहीं पाता हूँ
हाँ मैं सबके सामने सख्त बनता है
मगर अंदर से जज़्बाती कमजोर हूँ

हाँ मैं कुछ चाह कर भी वो कर नहीं पता
हाँ बुरा लगता है किसी के साथ बुरा होते हुए
उनका बुरा ना हो तो खुद का बुरा करते हुए

मैं जो हूँ खुद में, वो मैं हूँ ही नहीं
मैं लड़ रहा खुद से, खुद में ही कही

- Befizuliyat

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