तेरी इन खुली झुल्फों को बिखरता देख ,
आज मेरे साथ इन बादलों का भी दिल मचल रहा है-
दर्द ऐ बयां करते तो भी किस्से करते ,
इस महफ़िल में सब दिलजले बैठे हैं-
जिंदगी में एक चीज़ जो मेने महसूस की है -
कभी भी खुद को किसी की मजबूरी मत बनने देना , और ना खुद किसी पर मजबूर होना ||
मजबूरी के रिश्तों का वजन बहुत होता है , यह बिना आवाज़ किये टूट जाते है — % &-
कभी हारने जैसे फीलिंग आयी हो , और आप ज़ोर दे रहे हो सोचकर की हाँ यार हारा जैसा लग तो रहा है , पर हाँ अभी हारा नहीं हूँ |
शायद यही होता है हौसला , जिम्मेदारी रोज़ हम रात को सोने से पहले यही सोचते हैं , और सोचते सोचते सो जाते हैं.-
जब जिंदगी में उठक पटक शुरू हो जाये , तो समझ जाना वक़्त जल्दी ही बदलने वाला है
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कुछ किस्से अपनी जिंदगी के बचा कर रखना ,
खुली किताबो को अक्सर कोई भी पढ़ जाता है ||-
वक़्त लगता है सफल होने में ,इस दौरान आपको बहुत सारी असफलताएं हासिल होंगी , कभी कभी मन हार कर ,चीज़ें छोड़ना का भी मन करेगा , लेकिन तुम याद रखना की तुमने शुरू क्यों किया था , बस इमानदार रहना खुदसे , खुद से ज्यादा तुम्हे और कौन ही जानता है .
खुद को समझ जाओगे तो कहानी बन जाओगे ,
किस्सों को तो लोग अक्सर पीछे छोड़ जाते हैं ||
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बड़ो से सीख -
आज कल की प्रगति शील दुनिया में अगर कुछ सीखने लायक है, तो वह है संवेदना शील होना || हमारी धरोवर मतलब हमारे माँ बाप और घर के बड़े , शायद जहां आज कल हमारी जनरेशन के लोग रिश्ते बनाते ही मतलब से है, वहां घर के बड़ो से सीखना को मिलता है, की रिश्तों में खट्टास मिठास तो चलती रहती है ,उनमे कड़वाहट नहीं आनी चाहिए |-
उन्हें दिक्कत थी हम सुबह जल्दी नहीं उठते ,
मुर्शद ,
उन्हें दिक्कत थी हम सुबह जल्दी नहीं उठते ,
मुर्शद
अब हमने रातों को सोना ही छोड़ दिआ है
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