रिश्तों में मिल सकता नहीं ताउम्र तुझसे,
मोहब्बत में सौ मरतबा याद कर सकता हूं।-
बस इतनी पाकीज़ा रहे आईना ए ज़िन्दगी,
जब खुद से नज़र मिले तो बेमिसाल हो।
रिश्तों में मिल सकता नहीं ताउम्र तुझसे,
मोहब्बत में सौ मरतबा याद कर सकता हूं।-
हमारी बेखुदी का हाल वो पूछे गर तो कहना,
होश बस इतना है कि तुमको याद करते हैं।-
बुरा बन भी गया मैं कहानी के आखिर में तो क्या,
तुझ जैसा सितम तो मैंने आज तलक नहीं किया।-
कहा था ना मैंने शुरुआत ए सफर में,
मुझसे पहले ही थक जाओगे किसी मोड़ पर।-
वो ढूंढ रहे थे हमें भूल जाने के तरीके,
खफा होकर हमने उनकी मुश्किल आसान कर दी।-