Rahul Singh   (Musafir a.k.a Behaya)
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Ig: @rahulraj_3451 & @ishq_behaya_banaras
#writer
#shayaris & #poetries
Joined 30 May 2018


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Joined 30 May 2018
17 AUG AT 9:00

कद्र है सच कह रहे हो,
मान लूं बात, तुम इश्क़ कर रहे हो।
सच कहना तुम्हें मालूम था न हाल-ए-दिल,
दिल की बात करेगा ये, इसलिए नज़रंदाज़ कर रहे हो॥

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15 AUG AT 23:45

पर क्या है न किस्मत, महादेव और हम खुद भी अब रूठ चुके है, शायद हम से हम ही छूट चुके है ॥

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15 AUG AT 23:23

हज़ारों मर्तबा लिखा होगा और हज़ारों दफा लिखेंगे । एक राज़ है दफ़्न इस दिल में, कभी न कभी तो लिखेंगे ॥


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4 AUG AT 2:29

चलो अब इस मोड़ पर जाने भी दो,
देखो, उलझनों को अब सुलझानें भी दो।
आँचल में समेट कर लोरी सुनाने भी दो,
छोड़ों, जाने वालों को अब जाने भी दो॥

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9 JUL AT 13:13

हम तो कोई ख़ास नहीं,
तुम अपनी खुशियाँ, मुस्कुराहट और दिल को खोना मत।

ग़र जाने बाद तुम्हारे ना दिखें,
तो तुम रोना मत॥

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3 JUL AT 0:09

इत्तेफ़ाक़, इत्मिनान, सुकून सब तुझसे,
मेरे मुकम्मल हज़ारों सपने सब तुझसे।
एक रवायत है जग से मेरी,
हमारी जान, ये दुनिया-जहाँ सब तुझसे।।

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2 JUL AT 0:30

कोशिशें तमाम की थी हमने,
कुछ अधूरे ख्वाब लिए इन आँखों में ।
खोया किसी ओर ज़हाँ में कोई,
खोजते रहे ले लौ उम्र भर इन आँखों में ॥

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2 JUL AT 0:14

ख़त्म करते है एक दफ़ा और,
चलो जाने देते है एक दफ़ा और ।
काँच जैस ही सही पर उसका हक ओर,
चलो टुट जाने देते हैं एक दफ़ा और ॥

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11 JAN AT 0:43

ये जो खालीपन महसूस करते हो, हल्के मीठे दर्द के साथ ।

ये जो नुमाइश होती है जिस्मों की, इश्क के नाम पर होते फरेब की ॥

सब्र का बाँध अब तोड़ चुका है, ये दिल उस प्यार वाली राह को छोड़ चुका है ।


रेंगती आकृत्तिया है अभी और भी इस जहाँ में , तु रुक तो सही ।

पलट और देख क्या हश्र हुआ है उस बाग का, जहाँ से बस एक फुल तोड़ लेने पर रूठ गया था तूँ ॥

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27 OCT 2024 AT 0:28

मन की पीड़ा मन ही जाने, कोई जाने न पीड़ पराई ।
मन तो चंचल और है भोला मन जाने न कोई बुराई ॥
मन तो मन की करता है,है मन से मन की लड़ाई ।
मन है मेरा और मन तेरा, मन के मन की कढ़ाई ॥
मन ही मन मुस्काते है, मन ही मन की भम्राई ।
और जो मन को बाँध सके, वो वीर सहो रधुराई ॥

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