तरसती इन निगाहों को तेरे दीदार का,
ये बरसात की बूंदें लूफ्त पहूंचा गई।-
Kuch khas ni likhta hun,
Bas apne jazbat likhta hun.
तरसती इन निगाहों को तेरे दीदार का,
ये बरसात की बूंदें लूफ्त पहूंचा गई।-
इश्क दो तरफा हीं हो जरूरी नहीं
वो राज़ी हर बात में हो जरूरी नहीं
हम तो दिल पतझड़ में दे बैठे
प्यार भरी बरसात में हो जरूरी नहीं-
Here I'm again waiting for your message
as well as your "good night"-
Wo jo tere pass baith kar milti hai,
Log sayad use hi सुकून kehte hai.-
यूं ख्वाबों में आकर जो निंदे बर्बाद करतीं हो,
काश जिन्दगी में आकर मुझे आबाद कर देती।-
Itna sukoon toh "संगीत" me bhi nahi,
Jitna teri "पायल" ki jhankar
Sun kar milti hai.-
ये बारिश ऐसे ही नहीं होती,
इन बुंदों को कुछ कहना होता है
समुन्दर से।-