गर कोई ज़लज़ला नहीं होता|
क्या कहीं हादसा नहीं होता|
ज़िंदगी रोज़ ख़त्म होती है...
मौत ही ख़ात्मा नहीं होता|
इश्क़ में शख़्स दूर होता है...
रूह में फासला नहीं होता|
हर जगह मंजिलें नहीं होतीं...
हर तरफ़ रास्ता नहीं होता|
जख़्म की जड़ समझ नहीं आती...
दर्द का जायजा नहीं होता|
ज़िंदगी खूब स्वाद देती है...
मौत का ज़ाइका नहीं होता|-
Painter
noob writer
सूरज का कद फिर मापने आ गए
कुछ कीड़े खुलकर सामने आ गए
इक तरफ चिता जलती है बाप की
बच्चे उधर जायदाद मांगने आ गए-
मेरे पाँव से जिसने अक़्सर काँटे निकाले थे
उसी को ढूँढने में कितने ज़ख्म मैंने पाले थे
ऐ ख़ुदा तेरी इबादत को जाते तो जाते कैसे
हरतरफ तो मस्जिदें थी मंदिर थे शिवाले थे
उड़ गए बरहना बदन को तड़पता छोड़ कर
इन दरख्तों ने बड़े नाज़ से जो परिंदें पाले थे
किसे ख़बर थी बे-मौसम घिर आएँगे बादल
ब-मुश्किल तो इन आँखों ने आँसू संभाले थे-
उसके वादों पे मेरे दिल को ऐतबार है लेकिन
अब उसके जेहन क्या चल रहा है खुदा जाने-
समेट तो लेते है बिखरी हुई ज़िन्दगी के टुकड़े
ग़मो के झोंके मग़र मुझे फिर से बिखेर देते है-
ऐ खुदा मुझ से भी तो पूछ लेते क्या चाहिए मुझे
तेरी मर्जी के मुताबिक़ अब और नहीं चला जाता-
अक्सर तुझको ढूंढते हुए आ जाती है हवाएं
मैं उन्हें तेरी तस्वीर पे चढ़े फूल दिखा देता हूं-
समंदर होकर कभी समंदर नही रहता
वो जिसका फौलादी ज़िगर नही रहता
इक रोज़ लौट आएंगे हम तूफां बनकर
देखते है कैसे हवाओं से डर नही रहता
ज़हर ज़माने ने ऐसा पिला दिया मुझको
लबों से छू लें तो ज़हर ज़हर नही रहता
बहार-ए-इश्क़ से कायम है हुस्न भी तेरा
खिजाएँ आयी तो फिर शज़र नही रहता-
क्या बताएं किस क़दर ग़म-ए-आशिक़ी ने तोड़ा है
एक कि बात क्या करें चार-चार गर्लफ्रेंड ने छोड़ा है
😂😝😂-
इस बरस मौसमों में अच्छी फसल होगी
यही उम्मीद दहकान की मुसल्सल होगी
हम भी हो जाएंगे सुर्ख-रु तब खियाबां में
जब मेरी ख्वाहिशें कलियों सी क़त्ल होगी
महज़ स्याही से कहाँ कागज़ पे उतरती है
लहू दिल का हो तो ग़ज़ल सी ग़ज़ल होगी
जिनको बेचैनियों ने रात भर सोने ना दिया
सोचिए उनके सीने में कितनी हलचल होगी-