मेरा दिल जानता है मेरी रातों का अफसाना तारों की गिनती बराबर आंखों से आंसू बहाना सपनों में तुमसे रूठना फिर खुद ही मान जाना एक तरफे इश्क का ए दिल यही तो है नज़राना मेरा दिल जानता है मेरी रातों का अफसाना
जगत का आधार है वो इस सृष्टि का सार है वो नर में वो, नारी में वो वनस्पति सारी में वो सम वो, विकृति में वो कला में वो, कलाकृति में वो देश में वो, विदेश में वो हर प्राणी के भेष में वो जल में वो थल में वो काल के हर पल में वो वही इस ब्रह्मांड का पालनहार है उसी में सिमटा हुआ ये संसार है
वक्त बदल जाने पर बड़े बड़े वादे करने वाले भी बेवफाई की चद्दर ओढ़ लेते हैं मत बना इतने रिश्ते इस बेगानी दुनिया में ए दिल कभी-कभी यह रिश्ते ही दम घोंट देते हैं