मेरी व्याकरण की किताब तुम्हारे कमरे मे रह गई थी,
विवर्तनी मे अशुद्धियां बढ़ने लगी हैं,
सुनो पागल लड़की जब घर से कभी बाहर निकलना हो,तो उसे चौक पर उस पीले वाले मकान के सामने बनी पत्र पेटी मे रख जाना, जहां बोगिनविलिया के गुलाबी फूल जूही की महक के साथ कौवों के कारवां को आमंत्रित कर दिन भर पढ़वाते हैं अजनबियों के प्रेम पत्र।
कोई कौवा मेरी बिल्डिंग का उठा लाएगा व्याकरण की किताब और साथ मे कुछ चिट्ठियां,जो सनी होंगी किसी एकांतवास मे लिखे गए प्रणय पहाड़ों मे सुगंधित इत्र भरी स्याही से।
जब रात के तीसरे पहर मे चांदनी मुखर हो चूम रही होगी धरती का कोई कोना,तो मै अपने किताबों को सुला कर पढ़ लूंगा थोड़ी व्याकरण,और सारी चिट्ठियां।
फिर मेरे अन्दर दो बदलाव आएंगे,एक तो मेरी विवर्तनी ठीक हो जाएगी,और दूसरा ये कि मै फिर से लिखूंगा एक पत्र,और सौंप दूंगा हवा को चाहे वो जहां ले जाए,चाहे जिसके हाथ लगे,चाहे जितनी दूरी तय करे वो भी इस शिर्षक के साथ - पत्राचार,अजनबी को अजनबी के नाम,और अजनबी के जवाब का इंतज़ार।
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