Rahul Rawat   (राहुल (फ़िगार))
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Joined 2 January 2018


Joined 2 January 2018
18 JUL 2022 AT 11:18

https://youtu.be/IVa8YTj3cwU

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13 OCT 2021 AT 14:26

ज़मिन ख़ाक जो करते हैं रोशनी के खातिर,
बहुत जल्द डूब जाएँगे अंधेर मे उन के आशियां.

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12 OCT 2021 AT 0:47

देखता और न ठहरता तो कोई बात भी थी
जिस ने देखा ही नही उस से ख़फ़ा क्या होना
तुझ से दूरी में भी ख़ुश रहता हूँ पहले की तरह
बस किसी वक़्त बुरा लगता है तन्हा होना

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12 OCT 2021 AT 0:38

अब जहाँ भी हैं वहीं तक लिखो रूदाद-ए-सफ़र
हम तो निकले थे कहीं और ही जाने के लिए
मेज़ पर ताश के पत्तों-सी सजी है दुनिया
कोई खोने के लिए है कोई पाने के लिए
तुमसे छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था
तुमको ही याद किया तुमको भुलाने के लिए

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8 OCT 2021 AT 14:14

वो के हर अहद-ए-मुहब्बत से  मुकरता जाए
दिल वो ज़ालिम के उसी शख़्स पे मरता जाये
मेरे पहलू में वो आया भी तो ख़ुश्बू की तरह
मैं उसे जितना समेटूँ वो बिखरता जाये
खुलते जायें जो तेरे बंद-ए-कबा ज़ुल्फ़ के साथ
रंग-ए-पैराहन-ए-शब और निखरता जाये

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8 OCT 2021 AT 14:08

अहल-दैर-ओ-हरम रह गए
तेरे दीवाने कम रह गए
मिट गए मंज़िलों के निशाँ
सिर्फ़ नक़्श-ए-क़दम रह गए
हम ने हर शय सँवारी मगर
उन की ज़ुल्फ़ों के ख़म रह गए

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11 JUN 2021 AT 15:13

न् जाने क़्यों होता है ये ज़िन्दग़ी के साथ......

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10 JUN 2021 AT 22:09


राह में मिलिये कभी मुझ से तो अज़ राह-ए-सितम
होंठ अपने काटकर फ़ौरन जुदा हो जाइये,
जी में आता है के उस शौक़-ए-तग़ाफ़ुल केश से
अब ना मिलिये फिर कभी और बेवफ़ा हो जाइये.

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10 JUN 2021 AT 10:06

एक रोज़ जब बादलों गुबार तुम्हरी छत से नज़र आने लगे,
एक रोज़ ठंडी हवा का झोका ज़ुल्फों को सहलाने लगे,

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10 JUN 2021 AT 8:27


तेरे जाने के बाद कोई भी आहट कब से हुई नहीं है,
तेरी यादों के साथ तन्हाई जो मेरे घर में रहने लगी है,
मैं उम्मीद से आया था कि ये किनारे मुझे पल भर का सुकून देंगे,
मुझे सताने के लिए ये लहरें तेरी चूड़ियों की तरह खनकने लगी है,

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