कैसे कहोगे उस चाँद को अपना
जब मिलेगी उन्से तेरी खुशनुमा नज़र
कह दूँगा, कुछ यूँ हुआ है तेरा असर
खुद ही खुद में हो गया हूँ बेअसर
चुन चुन के मुझे अपनी तुम आंखों में बसालो मुझे
और सजादो अपने काजलों से ना लगने दो मुझे कोई खबर
पाकीजा हैं मेरी यादें रहनुमा मैं हूँ
लेकिन तुम हो तो मैं हूँ हम हैं शाम रात दोपहर
मौसम है उन्के आने की और मेरी जिद्द भी
बार बार ना सही "राहुल" एक बार तो आयेगी मेरी बेताब हमसफर
राहुल-
तुम बस कहते हो कुछ करते नहीं
और वो बिना कह कर भी देते हैं
और फिर तुम कहते हो
कोई बड़ी बात नहीं है
मैं भी मेहनत करता तो कर लेता
- राहुल
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Poets live in words, for each word they write makes them immortal in many lives.
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हमदोनों छत पर इश्क कर रहें हैं
चाँद की छत है और सूरज का दरवाज़ा, कोई नहीं आएगा
- राहुल-
इश्किया स्याही अब कागज पर काम नहीं करती है
सब वक्त का तकाजा है, पहले प्यार था तो लिख देते थे
- राहुल-
बचकानी हरकतें लुभावनी लगती है
अगर इश्क हो जाए हर दर्द पुरानी लगती है
फूल नहीं बन पाई वो कली आज भी
तू भी कली है फिर भी सयानी लगती है
जो भीगा दे वो बारिश कहाँ है
मैं तो भिगा था तेरे लिए अब हर बूंद तेरी निशानी लगती है
दिल्लगी है तो दिल को तो लगेगी ही 'राहुल'
मैं हूँ तुम हो तो सारी दुनिया दीवानी लगती है
- राहुल-
No matter, whoever thinks you as a question
You have to think yourself as an answer to every question.-
पहले जिन लोगों को नदी में डूबने से बचा लिया गया था
आज इश्क में डूब गये हैं और उन्हें बचाने वाला कोई नहीं है
- राहुल-
He caressed my face with holding one of my hand tightly expressing I will never let you go, I don't know how my eyes started closing and my hand started pumping, I forcefully opened my eyes and one of my hands was on his heart. I was bumbled, astonished and at the same time feeling more than mesmerized by his behaviour but happy enough to let him kiss on my right earlobe and giving him a charming smile which was an invitation for him to hug me tightly, it was tight enough to create a new beautiful universe in me and that's how a never ending journey of love started.
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दिये की परछाई उस जगह को रौशन करने से रोक देती है
मैं वही परछाई जिसे कोई नहीं केवल तुम भर सकते हो
- राहुल-