🌞🌞सुप्रभात🌞🌞
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कि तन्हा भीड़ से होके कुछ वक्त गुजार लेता हूँ।
त... read more
वो बंदिशें जिन्हें तुमने इज्जत का नाम दे रखा था,
वो मासूमियत जिसे एक परदे ने थाम रखा था!
वो मुस्कान जो शायद छिप कर रह गई थी कहीं,
कि अब उसके खिलखिला कर हँसनें का दौर है!
बेशक घुँघट उठा लो ये घुँघट का आखरी दौर है!!-
एक मुकर्र सच के कीमत पे मैं रोज मुकम्मल होता हूँ,
मैं जब भी खुद को खोता हूँ तब ही खुद को पाता हूँ!
इन सारे कोरे सपनों को इक रोज हकीकत करने को,
अब अक्सर काली रातों में मैं जागी आँखों से सोता हूँ!-
ख्वाबों में ही सही काश ये हादसा हो जाये,
ये नींद आये और आकर मुझमें फना हो जाये!-
किसके नाम पर सुबह ने अंगड़ाई ली है,
कि किसके नाम पे ये रोशनी खिल आई है!
कि बस इक ही शख्स तो आया जहन में मेरे,
कि शायद तू ख्वाबों से बाहर निकल आई है!-
इक चाय ही तो है जो मेरे इन होठों के भाती है,
तेरे होंठों का जायका भी तो चाय सा ही है ना!-
उनके लवों पे चाय की प्याली थी और कानों में झुमका!
कि बस इतना ही काफी था मेरा उनसे इश्क हो जाने को!
वैसे तो मेरी इन नजरों की चाहत भी बहुत ही रंगीन थी,
पर वो सांवला सा रंग ही काफी था कि इश्क हो जाने को!-
यूँ रात भर जगना किसी के इन्तजार में,
ये सिलसिला कब तक चलेगा प्यार में!-
ये खुदा तुनें जिन्दगी को इक किताब सा लिखा है,
इन हर्फों की परतों में जज्बातों को सजा रखा है!
कभी शिकायत न रही कि क्या लिखा मेरे हिस्से में,
गम तो सब पढ़ चुका हूँ खुशियाँ क्यों छिपा रखा है!
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सर्द रातों की खामोशियाँ इतनीं खामोश हो गई हैं,
की आँख जगती रह गई कम्बख्त नींद सो गई है!-