प्रेमपथ कहीं नहीं,स्नेहमुक्त पूरा संसार
आनन्द भरा था जीवन,करके साज़िश विस्तार
आओ सुनाऊं ह्रदय परिणय नीति परिणाम
बेख़ौफ़ होकर किया रूप ने कैसा काम
छाया सघन व्यथा का समीकरण,हम अधर में लटक गए
हँसकर पूछे पापी दुनिया बौरा गए या भटक गए?
कर दिया पागल-करार,इतना विरोध!
होकर विचलित मन लेले न प्रतिशोध
चरित्रहनन कर जाएगा ऐसे-कैसे
प्रबंध कर मृत्यु शीघ्र आये जैसे-तैसे
छाया सघन व्यथा का समीकरण,हम अधर में लटक गए
हँसकर पूछे पापी दुनिया बौरा गए या भटक गए?
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