Tum hasrat ho meri tumhe maloom nhi he
Basi he dil me teri soorat tumhe maloom nhi he
Kareeb aakar tum yun dil ki dhadkan badhate ho
Basti he tum me meri jaan tumhe maloom nhi he-
की ये लोग मुझे कैसा दिलासा दिए जा रहें है पंडित
मुझसे ही कहते हैं कि अपना ध्यान रखो 😑-
टूटी उस कसती का साहिल किनारा क्या होगा
टूटे दिल के दर्पण में गैर का सहारा न होगा
मोहब्बत की इस अदालत में मुजरिम हम ही रहेंगे
तुम पर उंगली न उठेगी ये इंतेज़ाम हमारा होगा
ज़िन्दगी की इस कस्मकस के सिलसिले यूँ ही चलेंगे
मिलना जुलना चौराहे पर हमारा तुम्हारा जाने फिर कब होगा
लाख आए मेरी बस्ती में कितने भी अंधरे
मेरे आंगन में किसी गैर के आने से उजाला न होगा
✍️ Rahul pandit-
तेरे पास आने से धड़कने आज भी तेज हो जाती हैं
कदमों की चाल रुक नैनों की चमक बढ़ जाती है
अक्सर लफ्ज़ आकर रुक से जातें हैं मेरे अधरों पर
जाने कहाँ से खोई हुई सी मुस्कान फिर लौट आती है ❤️-
ख्यालों की पुरानी किताब फिर उड़ा लाया सावन
हाथों में नाम रंगा मैंने फिर तेरी तीज का ❤️-
ये कौन चिराग जलाये हमे ढूंढता है पंडित
जरा इनसे पूछो हमसे बिछड़े थे क्या कभी ?-
ऐसी घिनोनी हरकत देखी देश शर्मसार हुआ
बिना दोष के खाये थप्पड़ उस गरीब का अपमान हुआ
मुझे गर्व है उस मानव पर भूला नही मर्यादा वो
देश यह वो भारत जहाँ पूजे नारी को माता सो
लड़का लड़की समान तो कानून भी समान करो
देवी अब इस नारी शक्ति का गलत न इस्तेमाल करो
नैन गाढे देखे जमाना विरोध कहाँ कोई करता है
जाने सब की बचाने वाला ही यहाँ उल्टा फंसता है
न्याय करने वाला देखे खड़ा यह कैसा अन्याय हुआ
जिस पर बीते वही जाने कैसे उसका तिरस्कार हुआ
ऐसी घिनोनी हरकत वाले जाने कैसे बचके निकलते हैं
और फिर यही जैसे मंच पर मानवाधिकार की बातें करते हैं-
इस बार तुम्हारे दरवाज़े पर हमारी दस्तक फिर से होगी
चांदनी रात में पास आए साँसों की आहट फिर से होगी
यकीनन चाँद तारों सी बाहों के बिछोने पर सुलायेंगे तुम्हे
तुम आओ तो सही सहलाते तुम्हारे बालों को वो चाहत फिर से होगी-
महखाने में जाने वाला हर शक़्स शराबी नही होता
मोहब्बत में आप से तुम न हो जाये जब तक
उस मोहब्बत का कोई फसाना नही होता
लबों के कुछ ख्याल अक्सर कलम कह देती है मेरी
शायरी लिखने वाला हर शायर प्यार में हारा आशिक़ नही होता ❤️-