ग़ज़ल
2122 2122 2122 212
जब तुम्हें मिलना नहीं है तो बुलाया मत करो
अपने कंगन की तरह मुझको घुमाया मत करो
इस शहर के लोग सब पागल कहेंगे आपको
छत पे दिनभर बैठ के नैना लड़ाया मत करो
तुम नमक छूलो तो लग जाती हैं उसमें चीटियाँ
चाय में ऐ जाँ मिरी, शक्कर मिलाया मत करो
जब कभी तस्वीर उसकी देखने बैठा करूँ
है कसम अश्कों तुम्हें आँखें भिगाया मत करो
बात सारी पूछकर फिर ये उड़ाते हैं मज़ाक
दिलरुबा की बात यारों को बताया मत करो
✍️राहुल पाल
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