के काश कहपाते कभी के कितना इश्क छुपा रखा था तेरे दामन सजाने को।
पर लब्ज़ सारे हलख में अटक गए और इश्क तेरे दिल के आंगन में दफ्न हो गए।
मेरा जीवन कोरा कागज कोरा ही रह गया।-
ताउम्र लगादी मैने जिन्दगी को तराशने में,
वक्त मिला तो जाना कि जिन्दगी तो कब का खोगया बचपन की उस नादानी में।-
I am in a race with me just to become a reflection of someone else.
Isn't it a real synicism?-
में प्रेम की सागर बन जाऊं जो तुम प्रीत की गंगा बन जाना,
में सूरज सा तप जाऊं, तुम चांद सा रोशन हो जाना,
में केदार बन जाऊं जो तुम मेरे गौरी बन जाना,
में इश्क लिख के आऊं बस तुम बगल में प्रीत लिखदेना।
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ଲାଗୁଛି ତାଙ୍କ ଆଉ ମୋ ଯିବା ରାସ୍ତା ବୋଧେ ଅଲଗା ହେଇ ସାରିଲାଣି।
କେଜାଣି କାହିଁକି ତାଙ୍କ ଅତର ର ବାସ୍ନା ଆଉ ମୋ ରାସ୍ତାରେ ମହକୁନି।-
ଆଛା ଶୁଣ ନା,
ମତେ ତୁମକୁ କିଛି କହିବାର ଥିଲା। ସେ କଥା କଣ କି...
ନାଇଁ ଛାଡ଼
ବୋଧେ ତୁମେ ବ୍ୟସ୍ତ ଅଛ। ପରେ କେବେ...
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तुमको भी हमसे महोबत हो ये जरूरी तो नहीं,
इश्क में एक मुकम्मल रुसवाई हो ये जरूरी तो नहीं,
मैने तुमको चाहा बेमतहा दिलो जां से, हर चाहत के बदले महोबत मिले ये जरूरी तो नहीं।-