जीसस, अल्लाह, राम तुम्हीं से,
जग का जीवनदान तुम्हीं से,
तुमसे ही सीखा है माँ,
सच क्या है? बस ज्ञान तुम्हीं से!
प्रीत की पहली पहचान तुम्हीं से,
और सच्चा ईमान तुम्हीं से,
सबकुछ तुमसे सीखा है माँ,
और ईश्वर का सम्मान तुम्हीं से!-
कभी खुदा कभी ख़ानाबदोश,
कभी सही, गलत किसी रोज,
अक्सर छूटता है राहगीर से,
समय ही जीवन, समय मृत्युदोष!
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कल की उड़ान के काबिल
आसमान बनाना बाकी है,
आज घर पे रहना है
की कल हिंदुस्तान बनाना बाकी है!
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मैं अक्सर जब सुनता था प्रेम-गीत
और मूंद लेता था आंखें,
तो मन मे उभरता था एक चेहरा
और मंद मंद मुस्कुराता था मैं।
मैं अब जब सुनता हूँ प्रेम-गीत
और आदतन मूंद लेता हूँ आंखें,
तो मन मे उभरते नहीं अब चेहरे
और मंद मंद मुस्कुराता हूँ मैं!
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इश्क़ से मीलों दूर, इश्क़ लिखने की चाह में,
एक कवि और उसकी कल्पना!-
हित अनहित का ज्ञान नहीं
जीवन मे उसके विश्राम नहीं,
ये किस राष्ट्र का है मजदूर
कर्मठ है, सम्मान नहीं!
चला जा रहा गांव की ओर
क्यों कर्मभूमि में आराम नहीं?
भूख द्वेष और मार्यादा से
मर चुका हैं वो, अब प्राण नहीं!
उसका ईश्वर रोटी है,
उसे अधिकारों का ज्ञान नहीं,
ईश्वर-अल्लाह रोज करो तुम
पर मजदूरों का अपमान नहीं!
है राष्ट्र समर्पित इंसा पे
उसके इंसा होने का प्रमाण नहीं?
और मजदूर दिवस की बधाईयों में
तमाशा है, सम्मान नहीं!!-
वो जो वफ़ा की बात करते है,
इश्क़ को बे-बुनियाद करते है,
अरे वफाई-बेवफ़ाई,
अदालतों के हवाले!
आओ हम इश्क़ दिन-रात करते है!
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गुलिस्तां मायूस है,
कोई इस गुल से कह दो,
तेरा जाना मुमकिन नहीं,
कोई इस गुल से कह दो!
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क़ातिल निगाहें, जुल्फों का अंधेरा,
ये किसकी रौशनी ने तुमको है घेरा?
ये चाँद है, या चाँदनी आयी फ़लक पे?
ये मोहब्बत की सारी बातें,
और तुम्हारा चेहरा!
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मैं ध्यान-धरु शम्भु सा
हलाहल तेरा पी जाऊं,
औ' प्रेम की तप में मग्न
तेरे मन को सुलझाऊँ!-