ललाट पे लगा सूरज की बिंदी, बालों में बांधे उसने ज्वार,
वो तेज़ रूपी, वो मोह माया, उसके तो है रूप हज़ार।
वो ही मानस की विधाता है, वो ही पृथ्वी की सृजनकार,
वो ही माटी में भरे बीज, वो ही ऋतुओं की राग मल्हार।
वो सहती पीड़ा भी कठिन, वो रौद्र रूप महाकाली है,
वो जलधि सी शांत स्वरूपा, वो ही ज्वाला रूप भवानी है।।
वो कहती नहीं, पर विस्मित है, बस आज के जय-जयकारों से,
वो स्वतंत्र है, पर सीमित है, इन नारीवादी अधिकारों से!
वो मौन नहीं, वो गौण नहीं, वो हर ललकार को रौंद रही,
वो वसुधा की माटी सरीख, वो अंदर अंदर कौंध रही।।
वो खुद लावा की लाली ले, बने जीवन की सृजनहार,
वो स्त्री जाति ही है मानव, वो ही समाज़ का है सृंगार।।-
तू हिम्मत क्यों रही हार ?
इस क्षण में जी,, होके गुलज़ार !!
अभी है अवसर हजार
अपने कर्म कर !
सोचना बंद कर
खुद पे कर ऐतबार।।
तू हिम्मत क्यों रही हार ?
इस क्षण में जी,, होके गुलज़ार !!
राहों की मंजिल नहीं
पगडंडियों की खुश्बू पहचान।
कल की चिंतामणि को
तिजोरी में कर बंद मेरी जान
न बना इस जीवन को बेज़ार।।
तू हिम्मत क्यों रही हार ?
इस क्षण में जी,, होके गुलज़ार !!
मुस्कुरा भी !! क्यों है परेशान ?
है ये जीवन, और हम यायावर
लहरों से टकराने के लिए भी हो तैयार
रख भरोसा, तू है सिकंदर की तलवार !!
तू हिम्मत क्यों रही हार ??
इस क्षण में जी,, होके गुलज़ार !!-
सारी कहानियां गुम है मुझमें,
गुम है मुझमें सारी यादें
उन संदेशों के संचय भर से,
क्यों मुमकिन है तन्हा रातें?
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कोई नींदों में गुम है, कोई चुप है ख्यालों में
ये बारिश की छन छन में, न उलझो सवालों में
तुम्हें भी याद आयेंगे कुछ बिछड़े हुए राही
पर मीरे गीत की धुन से, सुनो, न डुबो तुम प्यालों में
न उलझो सवालों में!
न उलझो सवालों में!
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When all you can think, is her
and that makes your heart go weak,
And when you start writing her down,
your heart beats hard indeed!
Writing and erasing.
Writing and erasing.
Writing and erasing.
I go in loops!
A writer's block,
am I stuck in?
Or is it a Lover's truce!-
क्या मौत भी अब अंत नहीं?
क्यों शैय्या पे आज देश है?
बता धर्म के रखवाले,
इस अंत्येष्टि में क्या संदेश है?
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कोई नींदों से कह दो की अठखेलियां न करे
अपने सपनों की मेहनत से थके हारे है हम,
और जरा वो जल्द आये
की अब इश्क़ में पड़े बेचारे नहीं है हम!
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The first aparajita of season
Reminds me of many things
My obsession with colour blue
My patience of growing
And then waiting for a definite day
The day when my plants flower
The first aparajita of season
Reminds me of me
I love blue like she loved black
And that made me confident
Confident of being myself
Confident of leaving my shell
The first aparajita of season
Has finally grown in all of my life
Planting it for the 4th time,
And waiting it to bloom
But good things take time
And they rightly should
Taught you about life?
I guess, I thought that I would!-
Every night
Just before sleeping
I unconsciously start thinking
About you, about us, about me
And when I reach 'me',
I stop!
Over many such nights,
I've realised one thing
I don't know me,
as good as I tried knowing you,
Over the nights to come
I will think
About me, about us,
But maybe not about you!-
हज़ारों दफ़ा देखी तेरी तस्वीरें
हर्फ़ एक न कह सका
मेरे ख़ुदा उस नूर पे नूर रख
जो मेरा न बन सका
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