बचपना ठीक से गया भी नहीं,
ख़ाब मंजिलों के पलने लगे है।
किताबों के पन्ने फटे पड़े है,
अब तालीम जिंदगी से लेने लगे है।
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rahul kumar
(राहुल कुमार)
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Student |
मोहब्बत तो की नहीं मैंने,
लेकिन बेवफ़ाई पर लिखता हूँ
हाँ हाँ मैं⚙️mechanical enginee... read more
मोहब्बत तो की नहीं मैंने,
लेकिन बेवफ़ाई पर लिखता हूँ
हाँ हाँ मैं⚙️mechanical enginee... read more
Joined 15 June 2018
17 FEB 2019 AT 10:20
3 JAN 2022 AT 14:51
ढूंढ रही हो तुम मुझे
जनवरी के पहले हफ़्ते में,
रह गया पीछे मैं
दिसंबर के आख़िरी हफ़्ते में-
27 DEC 2021 AT 20:30
किसी के हक में चाँद हो
किसी के आफ़ताब हो,
तुम दिखो जहां
वह बस मेरा ख़ाब हो।-
24 DEC 2021 AT 14:41
सब कुछ निसार किए बैठे हो
खुद को बर्बाद किए बैठ हो
ज़हर भी न दे वो तुम्हें मुड़कर
मौत जो उसके नाम किए बैठे हो-
21 OCT 2021 AT 0:29
बुझ रहा है जो लौ
दिये में तेल डाल दूं
टूटती सांसों से
सांसे जोड़ दूं
कहो...
बेरंग हो गया हो
आसमां अगर तुम्हारा
इंद्रधनुष-सा रंग घोल दूं!-
11 OCT 2021 AT 21:57
इक गुजारिश तुमसे करती है
मेघ बनाकर भले तुम न बरसो
राही का प्यास बुझे खैरात मांगती है
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4 OCT 2021 AT 18:10
तुम जो हो तो अच्छा है
तुम जो न होती तो अच्छा होता
तुम जो हो तो अधूरे ख़ाब है
तुम जो न होती तो स्याह रात होता।-
2 OCT 2021 AT 18:42
उफान हो जो विचारों में तो
इंकलाब एक दिन ज़रूर आएगा
हौसला रख,विश्वास कर खुदपर ए बंदे
फतह कर आज,कल सलाम करेगा।
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