इन शेरों से,गजलों से मेरा रिश्ता टूटता जा रहा,
खैर मैं आजकल तेरी गलियों में ज़रा कम जा रहा।
तुझे भूलने के लिए हमने ना जाने कितनी दुआएंँ मांँगी,
पर यह भी सच है कि तेरा चेहरा मेरे दिल से नहीं जा रहा।
लगता है ठिकाना अपना फिर से बदल लिया तुमने,
तेरे पते पर पता नहीं क्यों मेरा खत नहीं जा रहा।
इतना कमजोर मैंने खुद को पहले कभी नहीं देखा,
मुझसे अब तेरा दिया हुआ तोहफा भी खोला नहीं जा रहा।
कुछ इस तरह मेरी रूह तलाशती रही सुकून हर तरफ,
कि अब वह गुलाब मुझसे संँभाल कर रखा नहीं जा रहा।
मैं अब भी उस झूले को बस दूर से देखता हूंँ,
तेरे बिना उस झूले पर मुझसे बैठा नहीं जा रहा।
इतने मिन्नतों के बाद भी तू जो मुझे ना मिला,
मैं भी तो देखूंँ आखिर तू किसके साथ जा रहा।
कहने के लिए तो मैं तुम्हें भूलना चाहता हूंँ,खैर सच तो
यह भी है कि तुझे देखे बिना मुझसे रहा नहीं जा रहा।
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