Rahul Kumar Rajak  
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Joined 22 February 2018


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16 OCT 2023 AT 23:39

हर मोड़ पर ठिकाना नहीं आता,
मुझे आज भी उसे मनाना नहीं आता,
भीड़ में कभी तुम अपनों को मत खोना,
इस भीड़ को कुछ लौटाना नहीं आता।

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20 MAR 2022 AT 10:55

ना जाने कब से खुद का यह हाल रखा हैं,
हमने तेरी बदन की खुशबू को संभाल रखा हैं।

सिलवटे कमीज़ की अपनी कभी बिगाड़ी नहीं हमने,
जबसे मेरे धड़कन पर तुमने अपना गाल रखा हैं।

आरज़ू थी बैठकर गुजा़रु चंद लम्हे साथ तेरे,पर इन
आरज़ूओ ने न जाने कितने आरज़ू को टाल रखा हैं।

यह चांद तेरी गली में ठहर जाता है गुजरता क्यों नहीं,
लोगों को छोड़ो तुमने फिजाओं को भी बेहाल रखा हैं।

सुकून आ जाता है बस तेरा एक नाम सुनकर,
रखने वाले ने तेरा नाम बड़ा बेमिसाल रखा हैं।

कि इस उम्मीद में कि तू शायद मिल जाए कहीं राहों में
इस होली भी हमने तेरे लिए जेब में गुलाल रखा हैं।।

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1 FEB 2021 AT 11:21

इन शेरों से,गजलों से मेरा रिश्ता टूटता जा रहा,
खैर मैं आजकल तेरी गलियों में ज़रा कम जा रहा।

तुझे भूलने के लिए हमने ना जाने कितनी दुआएंँ मांँगी,
पर यह भी सच है कि तेरा चेहरा मेरे दिल से नहीं जा रहा।

लगता है ठिकाना अपना फिर से बदल लिया तुमने,
तेरे पते पर पता नहीं क्यों मेरा खत नहीं जा रहा।

इतना कमजोर मैंने खुद को पहले कभी नहीं देखा,
मुझसे अब तेरा दिया हुआ तोहफा भी खोला नहीं जा रहा।

कुछ इस तरह मेरी रूह तलाशती रही सुकून हर तरफ,
कि अब वह गुलाब मुझसे संँभाल कर रखा नहीं जा रहा।

मैं अब भी उस झूले को बस दूर से देखता हूंँ,
तेरे बिना उस झूले पर मुझसे बैठा नहीं जा रहा।

इतने मिन्नतों के बाद भी तू जो मुझे ना मिला,
मैं भी तो देखूंँ आखिर तू किसके साथ जा रहा।

कहने के लिए तो मैं तुम्हें भूलना चाहता हूंँ,खैर सच तो
यह भी है कि तुझे देखे बिना मुझसे रहा नहीं जा रहा।

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7 SEP 2020 AT 17:08

अधूरा शेर मुझे जिंदगी जीने का आरज़ू देता है,
किताबों में रखा गुलाब आज भी बहुत सुकून देता है।

राज़ मेरे,इन फिज़ाओं से आखिर कहा किसने,
मेरे गम में वो भी फ़िज़ूल आँसू बहा देता है।

परायों से अपनापन एक धोखा हैं जमाने का,
और धोखा इंसान को बहुत अक्लमंद बना देता हैं।

हालात मेरे अगर अच्छे होते तो क्या कहने थे,
खैर यह मुफलिसी इंसान की पहचान करा देता है।

हर रोज़ वो खिलौनें वाला खुशी बाँटता हैं बच्चों में,
पर अपने बच्चे को बिना खिलौने के बड़ा बना देता है।

सितम जब खुद में कैद ना कर पाए कोई,तब वह
कुछ नहीं करता बस एक नई शायरी बना देता हैं।।

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3 SEP 2020 AT 23:34

साथ आसमान छूने का ख्वाब होना चाहिए,
दोस्त एक ही हो मगर लाजवाब होना चाहिए।।

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3 SEP 2020 AT 23:34

साथ आसमान छूने का ख्वाब होना चाहिए,
दोस्त एक ही हो मगर लाजवाब होना चाहिए।।

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12 AUG 2020 AT 0:47

उपर वाला मुझे हुनर देकर मेरी चाहत ले गया,
वो इस दुनिया से हमेशा के लिए राहत ले गया।‌।

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10 JUL 2020 AT 18:45

तेरा यूँ मुझे हर बार हलके से छू कर गुज़र जाना,
ऐसा हैं मानो मौत का आना और गुज़र जाना।

रास्तों पर कभी ऐसा भी इत्तेफाक हो मेरे साथ,
तुझे देखना और नज़रअंदाज़ कर के गुज़र जाना।

कि एक तेरा चेहरा ही याद हैं उन लाखों चेहरों में,
शायद इसे ही कहते होंगे बुरी यादों का गुज़र जाना‌।

तेरी तस्वीर देख कर सिर्फ दो रास्ते ही बचते हैं मेरे पास,
या तो तेरी यादों में रोना या तो तेरे इश्क में गुज़र जाना।

डरता हूॅ॑ आखिर कब तक तुम मेरी साॅ॑सो में कैद रहोगी,
कि मेरी साॅ॑सो को तो है ही कभी न कभी गुज़र जाना।।

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29 JUN 2020 AT 2:50

ताउम्र किसी की याद में जीना,
आसान कहाँ हैं अवसाद में जीना।

हिज्र में तो सिर्फ ज़िंदगी कटती हैं,
जीने का मतलब हैं साथ में जीना।

मरना शायद मुनासिब हो ऐसे जीने से,
अब चहेगा ही कौन इस विवाद में जीना।

काश कि तू मिले कहीं और फिज़ा ठहर सी जाऐ,
पता तो चले कैसा होता हैं एक मुलाकात में जीना।

मेरे अलफ़ाज़ उसके चेहरे पर सुकून लाते होंगे क्या,
पड़ रहा हैं मुझे बस अब इसी ख्यालात में जीना।

कितनी खामोशी से मेरे दिल पर वार किया उसने,
मर गया वो दिल चाहता था जो हर हालात में जीना।।

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10 MAY 2020 AT 1:03

मुझको मिटा देने की उनकी बहुत तैयारी हैं,
पर मेरी माँ की दुआएं मुझपे बहुत सारी हैं।

चेहरे से मेरे दिल का हाल कैसे परखती हैं वो,
इस जहां में हर माँ की मूरत कितनी प्यारी हैं।

रोज़ाना एक ही काम करके थकती भी वह कभी नहीं,
शायद इसलिए ही माँ कहलाती एक अनमोल नारी हैं।

बिना देखे बच्चों को निवाला उनके गले से उतरता ही नहीं,
इंतजार में कई पहर भूखी रहती है माँ,जैसे कि इफ्तारी हैं।

वेश बनाकर मानव का दानव को भी वो अब लाँघ गए,
बेघर कर देते हैं माँ को, कहते यही अब दुनियादारी है।

मातृ सेवा का अवसर निश्चित ही स्वर्ग निश्चित कर जाएगा,
हे प्रभु!माँ रचना के लिए हम सब हमेशा तेरे आभारी हैं।।

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