ज़िंदगी होती तेरे साए में
बसर तो क्या बुरा था
तू ये जानता था की मैं
तेरी छाँव में हरा था।— % &-
डूब चुके थे उसकी आँखों में हम इतने, मत पूछो
क्या बतलाए चिड़िया उड़ में हमने बन्दर उड़ा दिया।— % &-
एक ख्याल सहारा कैसे हो सकता है,
कोई खुले बालों में इतना प्यारा कैसे हो सकता है।— % &-
बड़े ज़ालिम हो, जुदाई की सज़ा दी ,
जान-ए-जाँ, जान से मारा भी तो जा सकता था।— % &-
मुझे खुद पर बेइंतहा अहम था..
वो शख्स सिर्फ मेरा है. शायद यही वहम था..-
उम्र में बड़ी है हरकतों से बच्ची लगती है,
अब चाहे जैसी भी हो मुझे अच्छी लगती है।-
उसे भी करना था याद ......... आराम कैसे करता ?
मैं एक ही रात में ये दो काम कैसे करता.....?-
कर के बेचैन मुझे फिर मेरा हाल ना पूछा,
उसने नजरें फेर ली मैने भी सवाल ना पूछा !!-
कुछ न रह सका जहां वीरानियाँ तो रह गई..
तुम चले गए तो क्या कहानियाँ तो रह गई..!-
अब ये सितम भी मेरी ज़ात पर क़हर ढाएगा,
वो मुझे देखेगा, मुस्कुराएगा और गुज़र जाएगा।-