Rahul Kumar   (वो फिर आएगी)
827 Followers · 51 Following

read more
Joined 11 June 2017


read more
Joined 11 June 2017
14 JAN AT 23:00

वैसे तो बेहतरी लग रही है
पर बिमारी बड़ी लग रही है

वक़्त उतना भी अच्छा नहीं है
जितनी अच्छी घड़ी लग रही है

रूह हाजिर नहीं है यहां पर
जिस्म से प्रॉक्सी लग रही है

आपके आने से है नयापन
जनवरी जनवरी लग रही है ।

-


27 NOV 2023 AT 22:37

आज से दस बीस साल बाद जब हम एक दूसरे से
हजारों किलोमीटर दूर होंगे और हमारे बीच नाम मात्र
का भी कॉन्टेक्ट नहीं रह जाएगा और हमारी दुनियाएं
पूरी तरह से बदल चुकी होंगी , हम दोनों हो चुके होंगे
अपनी अपनी दुनिया में बिजी मगर फिर भी किसी
इक रोज़ मुझे मेरी दुनिया में अचानक तुम्हारी याद
आने पर ठीक उसी समय जब तुम्हें तुम्हारी दुनिया में हिचकी आने लगेगी तब
शायद मैं समझ पाऊंगा हमारे बीच का क्वांटम एंटैंगलमेंट और सबको बताउंगा
कि "हिचकी" दरअसल प्रेम की दुनिया में क्वांटम एंटैंगलमेंट का उदाहरण है...

-


11 JUL 2023 AT 20:26

फ़क़त ये सोचता हूँ मेरे अंदर क्या बचेगा फिर
अगर तेरी अज़िय्यत से कभी बाहर निकल आया

मैं तो इस तौर तन्हा हूं कि मेरी बात सुनकर के
मिरे घर की दर-ओ-दीवार से इक सर निकल आया ।

-


6 JUL 2023 AT 19:32

जो परिंदा है फ़क़त उसका तो घर जाएगा
पेड़ कट जाए अगर तो, वो तो मर जाएगा ।

-


2 JUL 2023 AT 18:54

देख तो लेता मैं सूरज की ये परछाई फिर
पर चली जाती जो इन आंखों से बीनाई फिर

इस अदालत की शुरुआत सजा से होती है
बाद होती है यहां इश्क़ की सुनवाई फिर ।

-


18 JUN 2023 AT 22:32

हजारों कोशिशें की फिर भी कोई हल नहीं निकला
कि मीठा छोड़ो मेरे सब्र का तो फल नही निकला

कि इस हद तक मिरी उसके दर-ए-दिल में मनाही थी
मिरी मिन्नत से दर तो टूटा पर साँकल नहीं निकला ।

-


27 APR 2023 AT 18:23

जिस किसी से मिले उसे बदले
वो नदी जैसे रास्ते बदले

ज़ब्त ऐसे हैं एक दूजे में
गर तुझे बदले तो मुझे बदले

चंद मिनटों की ही सहूलत थी
बस परिंदों के पिंजरे बदले

वो कि जिसका बदल न था कोई
वो कि जिससे लिए गए बदले

सब बदलते हैं अपनी मर्ज़ी से
कौन क्यूं किसको किसलिए बदले ।

-


25 JAN 2023 AT 22:32

तन्हा उदास लोगों से मैं घिरा हुआ था
ईजाद मुझसे इक ऐसा मर्सिया हुआ था

फिर एक क़ैद मुझको आग़ोश में लिए थी
इक क़ैद से अभी ही तो मैं रिहा हुआ था

मुझको ही ये तजुरबा औरों में बांटना था
मेरा ही क्लास में पहले वाइवा हुआ था

मिट्टी में मिलने को सब तैयार जिसकी ख़ातिर
मिट्टी का जिस्म वो इक ऐसा बना हुआ था

दीवार बन गया हूँ तो सिर्फ़ सुन ही सकता
पहले मुहावरा ये मैंने सुना हुआ था ।

-


24 JAN 2023 AT 18:54

वज़्न जिम्मेदारियों का बढ़ रहा है
ज़िन्दगी की लिफ्ट ऊपर उठ रही है ।

-


22 JAN 2023 AT 16:51

ग़ज़ल का शाइरी का ख़द्द-ओ-ख़ाल दो निकाल दो
ग़म-ए-हयात को सुख़न में ढाल दो निकाल दो

उरूज-ए-इश्क़ से गिराओ यूं न एकबारगी
मुझे ज़रूरी वक़्त-ए-ज़वाल दो निकाल दो

ग़म-ए-फ़िराक़ दिल की पिछली सफ़ में बैठा बच्चा है
इसे क्लास में कठिन सवाल दो निकाल दो

कि कार-गह-ए-दिल से गर निकालना ही है मुझे
तो पहले मुझको मेरा 'ऐन-ए-माल दो निकाल दो

फ़िराक़ मौसमों में आँखें ख़ुश्क कब तलक रहें
कि अब तो आँसुओं को बर्शगाल दो निकाल दो

मुसव्वरी हो एक ज़िन्दगी की कैनवास पर
कि जिसमें सारे रंग-ए-मलाल दो निकाल दो

ये कह के उसने फ़ोन कट किया था आख़िरी दफ़ा
मिरा ख़याल दिल से तुम निकाल दो निकाल दो ।

-


Fetching Rahul Kumar Quotes