rahul kumar   (ßeคsTSlคyer)
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Joined 1 July 2019


Joined 1 July 2019
30 MAR 2024 AT 8:40

घर छोड़े अब एक अरसा हो गया
घर जाना अब एक सपना हो गया..
अपनो से इस क़दर दूर हुए की
अंजाना शहर ही अपना हो गया..

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10 MAR 2024 AT 17:31

क्या झूठी फितरत थी मेरी
या फिकराना अंदाज था ।
क्या जवाब देते हम उनका
जिन्हें सवाल मेरी नियत पर उठना था ।।

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17 JAN 2024 AT 1:24

Auditing is not all about
Being Busy is a blessing
But it's like
Being available for future arrivals

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29 NOV 2023 AT 1:52

एक वक्त के बाद..
इंसान.. बातों के जज्बातों मे
गुम होने से अच्छा
गुमनाम रहना पसंद कर लेता है

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9 NOV 2023 AT 23:28

जिमेदारियों की राह पर अकेला खड़ा हो गया
घर से निकलते ही..
मां देख.. तेरा बेटा एकदम से बड़ा हो गया

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25 OCT 2023 AT 16:35

जिम्मेदारियों को निभाने घर से कितना दूर आ गए
मां का आंचल, बाप का साया छोड़ आ गए
मजबूरी तो न थी मगर..
मंजिल की तलाश में मिलो दूर आ गए

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22 AUG 2023 AT 19:22

Some deep scars are like
White markers on white board

Exist.. but invisible.

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17 JUN 2023 AT 23:07

जीवन।।
ख्वाशिषो की कागज़ पर
किस्मत की लिखावट सा..
जिंदगी की इम्तेहान मे
जिमेदारियों की रहमत सा..

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22 MAY 2023 AT 15:29

तुम सच में हो..
एक चमकते चांद जैसी
नूर भी.. गुरूर भी.. दूर भी..

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22 APR 2023 AT 0:04

Teri parwah
Teri pabandiyan nahi..
Ye to ek zikr hai
Ki mujhe Teri fikr hai..

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