हर तरक़्क़ी, हर बाधा वाले तीर की कमान थी हमारी,
निःसंदेह वो शान थी हमारी, BRKGB जान थी हमारी।
डिजिटल एप्लिकेशन की प्रगति ने दिशा ही मोड़ दी,
दस बार पुरस्कार जीतकर, सब बैंकों को पीछे छोड़ दी।
सिर का मुकुट, माथे का तिलक, जो पहचान थी हमारी,
निःसंदेह वो शान थी हमारी, BRKGB जान थी हमारी।
प्रबंधन की बात ही क्या, वे गुरुजन स्वरूप थे,
हर कठिनाई में मार्गदर्शक, जैसे अभिभावक रूप थे।
2013 से शुरू हुआ यह सुनहरा सफर अब थमने को है,
एक नया RGB का बाग़ अब नये रूप में खिलने को है।
उसी उत्साह, उसी ऊर्जा से फिर से अलख जगाएंगे,
सब मिलकर अब RGB को नई ऊँचाइयों तक ले जाएंगे।-
Mr. Engineer 🤓
फूल तो मुरझाना ही था,तुमने ज्यादा जो सींच दिया था
रिश्ता तो टूटना ही था ,तुमने ज्यादा जो खींच दिया था
लोग खुद जुड़ जाते हैं जिनको लगाव होता है दिल का
तुमने तो अन्दर उठे जज्बातों को खुद ही भींच दिया था
मैने तो कोशिश पूरी की थी अंधेरे में भी तलाशने की तुम्हें
तुमने अपनी कसमें देकर खुद मेरी आंखों को मीच दिया था
तुम तो कह रहे थे कि मजबूरी थी घर की तो जाना पड़ा
लोगों में अफवाह है "उसको" खुद तुमने ही रीच किया था-
मुझे तो अब सुलह के कम आसार नजर आते है
जिधर देखो , तुम्हारे ही ..तरफदार नजर आते है
मैं किस दर पर जाकर करूं हाल ए बयां अपना
चहुं ओर, तुम्हारे ही .....सरकार नजर आते है
कितनी कोशिश और बाकी है मेरी हार होने में
मेरे तो .. प्रयास ही सारे, बेकार नजर आते है
मैं किस से छुपाऊं अपने बहते हुए अश्कों को
दर्पण तो सारे मुझे ,आर - पार नजर आते है
मैने कोशिश तो बहुत की तुमसे नजरें चुराने की
मगर आंखे बंद करके भी,सरकार नजर आते है
मैने सोचा था कि तेरी सारी जागीर मेरी है
मगर मुझे तो उसके भी हिस्सेदार नजर आते है
अब तो लगता है कि दिल मेरा ही पागल था
बाकी तो मुझे सब समझदार नजर आते है-
नौकरी करने लग गए हो और सुकून भी चाहते हो
क्या मैनेजर साहब ... बड़े नादान हो आप...😊😊
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डॉ बी आर अंबेडकर एक ऐसी शख्सियत हैं जब आप अपने किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परिस्थितियों को विपरीत पाते हैं यह जीवन और उसकी परिस्थितियों जब आपको असामान्य और आपको बिल्कुल विपरीत लगती है तो याद कीजिए उस शख्सियत को जिसने वंचित पिछड़ी और संघर्ष में जीवन बिताने वाले समाज में जन्म लेकर अपनी मेहनत और काबिलियत के बल पर देश में ही नहीं वरन वैश्विक पटल पर अपनी एक अलग पहचान बनाई और संपूर्ण देश को गर्वित होने का एहसास कराया।
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₹49/- लगा कर करोड़पति बननें के सपने आज शाम 7.30 बजे से चालू होंगे जो रात के 10 बजे मूलधन के वापिस आ जाने तक सीमित हो जाएंगे 😊😀
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बिछड़ के मुझसे वो शख्स रोया था बहुत!
मैं तो मर्द था ............आंसू छुपा गया !
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हमारी वफादारी अभी समझ में नहीं आएगी उन्हें,
अभी वो गुरूर में बैठे हैं कि उन्हें चाहने वाले बहुत हैं।
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टूटी फूटी कश्ती और एक खुश्क समंदर देखा था....
कल रात मैने झांक के शायद अपने अंदर देखा था !
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हृदय की पीड़ा केवल भगवान को ज्ञात है
लोगों के लिए वैसे भी सब मजाक है..✨❤️-