Rahul Kr Gautam   (श्री श्री राहुल बावा 🙏)
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Bindass ...As always
Mr. Engineer 🤓
Joined 20 May 2018


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26 AUG AT 8:58

अब तो मिल जाओ हमें तुम, कि तुम्हारी ख़ातिर

इतनी दूर आ गए दुनिया से किनारा करते करते..

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15 AUG AT 11:27

एक दिन के लिए स्टेटस बदलने या तिरंगा लगाने से कोई देशभक्त नहीं बन जाता।असली स्वतंत्रता है—विचारों में दृढ़ता और आचरण में स्वच्छता।देश में कहीं भी दिखने वाली गंदगी की सफाई की जिम्मेदारी, संस्कारों का पालन और राष्ट्रीय कर्तव्यों का निर्वहन ही आज़ादी को असली सलामी है।
हर व्यक्ति अपनी ज़िम्मेदारी समझे कि देश के लिए क्या कर सकता है, क्योंकि देश हमारी पहचान है और इसे बेहतर बनाना हमारा कर्तव्य है।आइये एक शपथ लेते है -"हम वास्तविक देशभक्त बनेंगे"

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13 AUG AT 9:10

सुबह दफ्तर में घुसे, चाय अभी हाथ में,
मैनेजर बोले – “भाई, टारगेट है सात में!”
सोचा करेंगे आराम, थोड़ा कुर्सी पर टिककर,
पर ईमेल आई झट से – "ग्राहक पकड़ो निकलकर!"

लोन बेचो, कार्ड बेचो, इंश्योरेंस भी थमा दो,
ना माने जो बंदा, उसको सपना दिखा दो।
चेकबुक, पासबुक, अकाउंट का मेला,
ग्राहक भागा तो, पीछे फोन का रेलमेला।

लंच टाईम में प्लेट, और कॉल लिस्ट साथ,
"सर, EMI भर दीजिए" – यही है हमारी बात।
शाम को सोचा – चलो घर, छुट्टी के मज़े लेंगे,
व्हाट्सऐप पे आया मैसेज – "कल मीटिंग में मिलेंगे"।

फिर भी हम हंसते-गाते, दौड़ में लगे रहते,
बैंकिंग के इस खेल में, टारगेट बाबा को पूजते रहते!

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1 AUG AT 13:46

किस बात का रोना है, किस बात की जल्दी है
छू कर तूने मुझको, मेरी जान निकाल दी है
गर मिल जाए मुझको, तौबा क्या होगा फिर
ये सोच-सोच के ही, मेरी धड़कन चलती है

मैं कैसे कहूं तुझसे, एहसास दिलाऊं क्या
मेरे दिल में बस्ती है जो, तुझको दिखलाऊं क्या
तेरे लिए धड़क के हर पल, दिल ने चाल बदल दी है
किस बात का रोना है, किस बात की जल्दी है
छू कर तूने मुझको, मेरी जान निकाल दी है

अब हर लम्हा तेरा है, अब हर बात अधूरी है
तेरे बिना ये दुनिया, वीरान सी दूरी है
तेरे ख्वाबों से मेरी हर रात सजी रहती है
तेरे ज़िक्र में ही मेरी हर सुबह बसी रहती है

ना कुछ कहूं फिर भी तू सब कुछ समझ जाता है
तेरी मुस्कान ही मेरा दिन बना जाता है
साँसों में तू बसा है, धड़कन भी तुझसे है
तू साथ है तो जीना, अब कुछ और सच्चा है
मोहब्बत ने तेरी हर ग़म मुझसे छीन ली है
छू कर तूने मुझको, मेरी जान निकाल दी है

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20 JUL AT 14:46

नौकरी कर रहे एक दोस्त से पूछा मैने एकदिन,
सुकून है न अब....! वो बहुत देर तक शान्त रहा फिर बोला सुकून का नहीं पता लेकिन जरूरतें पूरी हो रही हैं
कुछ काश खत्म हो गये हैं, क्या कर रहे हो आजकल ? इसका जवाब देने में संकोच नहीं लगता सोचना नहीं पड़ता त्यौहार पर मां बाबा को सुकून से कुछ न कुछ दे देता हूं, देखो संघर्ष पहले भी था, अब भी है बस अब उसके साथ पैसा है तो सब ठीक लगता है, मतलब ठीक इसलिए की जरूरतें पूरी हो जाती है, और सबसे बड़ा सुकून उस रोज मिलता है जब Exam Centre के बाहर भीड़ देखता हूं, उस रोज लगता है, जो भी है इस भीड़ को भेदकर इस पार तो निकल ही आया हूं.....

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14 JUN AT 10:04

हीरा मोती महल खजाने, सब कुछ धरा यहीं रह जाएं
जीवन में कुछ धरम रे करले ,इस से पहले वो आ जाए

भागम भाग करी जिन खातिर, ओढ़ न पाया पूरी चादर
समझ में आया देर से ही ये, कुछ भी साथ नहीं ये जाए
जीवन में कुछ धरम रे करले ,इस से पहले वो आ जाए

ढंग से न बोल्या बात नि करिया, निरा घमंड धरे बैठा
इस से जलना उस से रूठा,तने समय दिया यों ही गंवाए
जीवन में कुछ धरम रे करले ,इस से पहले वो आ जाए

हंस हंस बोलो भेद मिटाओ,मन का कचरा सभी हटाओ
जो कुछ जीवन हंसी खुशी है, अपनो के संग मेल बढ़ाओ
जीलो गले लगा कर उनको ,इससे पहले सब घट जाए
जीवन में कुछ धरम रे करले ,इस से पहले वो आ जाए

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7 JUN AT 14:56

एक नजर देख कर सौ नुक्स निकाले मुझमें

जीवन भर में तो तुम, जान ही ले लेते मेरी..

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30 APR AT 21:29

हर तरक़्क़ी, हर बाधा वाले तीर की कमान थी हमारी,
निःसंदेह वो शान थी हमारी, BRKGB जान थी हमारी।

डिजिटल एप्लिकेशन की प्रगति ने दिशा ही मोड़ दी,
दस बार पुरस्कार जीतकर, सब बैंकों को पीछे छोड़ दी।

सिर का मुकुट, माथे का तिलक, जो पहचान थी हमारी,
निःसंदेह वो शान थी हमारी, BRKGB जान थी हमारी।

प्रबंधन की बात ही क्या, वे गुरुजन स्वरूप थे,
हर कठिनाई में मार्गदर्शक, जैसे अभिभावक रूप थे।

2013 से शुरू हुआ यह सुनहरा सफर अब थमने को है,
एक नया RGB का बाग़ अब नये रूप में खिलने को है।

उसी उत्साह, उसी ऊर्जा से फिर से अलख जगाएंगे,
सब मिलकर अब RGB को नई ऊँचाइयों तक ले जाएंगे।

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26 APR AT 1:45

फूल तो मुरझाना ही था,तुमने ज्यादा जो सींच दिया था
रिश्ता तो टूटना ही था ,तुमने ज्यादा जो खींच दिया था
लोग खुद जुड़ जाते हैं जिनको लगाव होता है दिल का
तुमने तो अन्दर उठे जज्बातों को खुद ही भींच दिया था
मैने तो कोशिश पूरी की थी अंधेरे में भी तलाशने की तुम्हें
तुमने अपनी कसमें देकर खुद मेरी आंखों को मीच दिया था
तुम तो कह रहे थे कि मजबूरी थी घर की तो जाना पड़ा
लोगों में अफवाह है "उसको" खुद तुमने ही रीच किया था

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26 APR AT 0:34

मुझे तो अब सुलह के कम आसार नजर आते है
जिधर देखो , तुम्हारे ही ..तरफदार नजर आते है
मैं किस दर पर जाकर करूं हाल ए बयां अपना
चहुं ओर, तुम्हारे ही .....सरकार नजर आते है
कितनी कोशिश और बाकी है मेरी हार होने में
मेरे तो .. प्रयास ही सारे, बेकार नजर आते है
मैं किस से छुपाऊं अपने बहते हुए अश्कों को
दर्पण तो सारे मुझे ,आर - पार नजर आते है
मैने कोशिश तो बहुत की तुमसे नजरें चुराने की
मगर आंखे बंद करके भी,सरकार नजर आते है
मैने सोचा था कि तेरी सारी जागीर मेरी है
मगर मुझे तो उसके भी हिस्सेदार नजर आते है
अब तो लगता है कि दिल मेरा ही पागल था
बाकी तो मुझे सब समझदार नजर आते है

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