24 JAN 2019 AT 14:31

सुभाष चन्द्र बोस के त्यागों की महिमा यूँ प्रस्तुत करूँ,
तेरे पावन चरणों में अदनी सी कविता अर्पित करूँ।
छूकर तेरे चरणों को शायद शब्द अमर हो जायें,
सुनकर तेरे उन गुणों को हम सब पर भी असर हो जाये।
अंग्रेजों को बेबस करके तूने किया लाचारा था,
हिन्द देश मैं जोश भरा था वो तेरा ही नारा था।
क्या नहीं किया था तूने पाने उस आज़ादी को,
हिन्द फौज का गठन किया था उन गोरों की बर्बादी को।
नाकों चने चबवा दिए थे, दिन में तारे दिखा दिए थे,
नींदें उड़ा दी थी उनकी, पुर्जे पुर्जे हिला दिए थे।
तेरे उस ज़ज़्बे को शत शत नमन मैं करता हूँ,
ये छोटी सी रचना तुझको अर्पण मैं करता हूँ।

- © R_Kapoor राही मस्ताना