Rahul kant Pandey   (कवि राहुल कान्त पाण्डेय)
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मैं मुहब्बत लिख रहा हूँ..
Joined 27 September 2017


मैं मुहब्बत लिख रहा हूँ..
Joined 27 September 2017
29 APR AT 20:06

जब न्याय सत्य व धर्म ध्वजा बस मात्र नाम रह जाते है
पथभ्रष्ट राजसिंहासन हो मदलोभ धाम बन जाते है।
जब सत्य सनातन शुचिता पर दुष्कर्मी प्रश्न उठाते हैं
जमदग्नि पुत्र भूदेव राम तब परशुराम बन जाते है।।

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13 APR AT 20:01

कायर सब चुप्पी साधे हैं, जलता रहे बंगाल।
इक दिन उनको भी निगलेगा, यह आतंकी काल।।

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6 APR AT 17:57

पूर्वजन्मों के हमारे कुछ तो संचित पुण्य होंगें
हां, तभी श्रीराम के अवधागमन को देख पाये।
देख पाये हम प्रभु के द्वार पर कोमल चरण को
पूर्ण होती लख प्रतीक्षारत नयन को देख पाये।।
हां, अवध में राम आये।।

यह नहीं कि वर्ष चौदह का रहा वनवास था यह
यह नहीं कुछ काल का निश्चित रहा प्रवास था यह।
यही नहीं कि कैकयी ने मांग ली वरदान कोई
यह नहीं किसी मंथरा के चाल का सारांश था यह।।
जो भी था अवरोध लेकिन राम सबको भेद आये।
हां,अवध में राम आये।।

सज रही दुल्हन की जैसी धाम यह पावन अयोध्या
सज रहे हैं वासी अवध के प्राण उनके आ रहे हैं।
आज भारतवर्ष पूरा ही अवध सा लग रहा है
लग रहा हर एक घर में राम चलके आ रहे हैं।।
हर तरफ आनंद रस बरसे धरा ये जगमगाये।
हां, अवध में राम आये।।

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1 APR AT 21:49

केवल पैसों की चोरी, चोरी नहीं होती,
किसी के मेहनत और समय की चोरी करने वाला भी चोर ही कहलाता है।।

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15 FEB AT 19:43

अता करेगा किसको ईश्वर कौन सी शोहरत क्या जाने।
इक बंजारन की आंखों में डूब गयी सारी दुनिया ।।

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13 OCT 2024 AT 8:00

कैसे कैसे लोग हैं, कैसे रीति रिवाज।
रावण भी रावणदहन, देखो करता आज।।

सभी बने बहुरूपिये, बहुआनन बहुनाम।
भीतर भीतर रावणा, बाहर बाहर राम।।

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26 AUG 2024 AT 20:46

जग में आकर सिखाना पड़ा कृष्ण को
मार्ग पर चल बताना पड़ा कृष्ण को ।
बांसुरी से सदा काम बनता नहीं
चक्र भी है उठाना पड़ा कृष्ण को ।।

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26 AUG 2024 AT 13:18

ब्रह्म माधव है माधव में लय है जगत
पूर्ण में पूर्णतः प्रेममय है जगत।
हे मुरारी ! तुम्हारे बिना कुछ नहीं
ये जगत कृष्ण का कृष्णमय है जगत।।

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7 MAY 2024 AT 20:07

कितनी बातें बनाना पड़ता है
मैं हूं उसका बताना पड़ता है।
रोज रूठती है जिंदगी मुझसे
रोज उसको मनाना पड़ता है।।

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11 APR 2024 AT 11:36

ईद का चांद मुबारक हो उन्हें
जिन्हें सालों में बस इक बार दीद होती है।
मैं उसे रोज ही ख्वाबों में देखा करता हूं
और मेरी जान मेरी रोज ईद होती है।।

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