Rahul Jha   (Rahul Jha)
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Joined 29 May 2020


Joined 29 May 2020
6 MAY AT 2:29

वो निरे पागल है

बारिश की आश लगा बैठे है बिन बादल
सुलझे बाल उलझा बैठे है वो निरे पागल

उनके तरकश में तीर नही खीर है
वो कोई फकीर नही जिंदा पीड़ है

पास उनके उलझे जबाव है सुलझे सवाल के
दिन के उजाले को अंधेरा और रात को सवेरा कहते है
वो निरे पागल है कुछ भी कहते है









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6 MAY AT 1:45

इच्छित रहो या प्रतीक्षित रहो पर रहना जरुरी है

हर विधा सत्य सतत हो जरूरी नही
कर जो भी तय हुआ होगा चुकाना जरुरी है

इच्छित रहो या प्रतीक्षित रहो पर रहना जरुरी है

मधुमेह सी मीठी वाणी हो या समंदर सी खारा पानी इस तरह भी यदि संभावित हो जीवन तो जीना जरूरी है

इच्छित रहो या प्रतीक्षित रहो पर रहना जरुरी है







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19 MAR AT 0:08

आज मेरे अल्फाज इतने है।
आप बताए आप लोग कितने है।

कि मैं सबके हिस्से की जिम्मेदारी कुछ ही किस्सो में बांट दूंगा।
बस अपनी अपनी औकात की बात बता देना मे उतने हिस्से तुम्हे नाप दूंगा ।

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27 JUL 2023 AT 3:15

चित्र बड़ा विचित्र है ये लोगो का कैसा दोहरा चरित्र है
पता ही नही चलता कौन दुश्मन और कौन मित्र है

किसी की कर्कश तो किसी की मधुर वाणी है
और कही खारा तो कही मीठा पानी है

अभी बस अभी बहर माप कर आया हू
कही कुछ गलत तो कही कुछ सही पाया हू

कुछ विचित्र से चित्र देखे न पास खड़े कोई मित्र देखे
कुछ पाँव मे छाले और कुछ मे जूते निराले देखे

दिन को कोई रात तो कोई रात को दिन बना लेता है
जिसे जो समझ आता है उसे वो अपना लेता है









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22 APR 2023 AT 23:33

तमन्ना बस यही कि तुम मेरी आख़री तमन्ना बन कर रहो और मैं तुम्हारा आख़री सपना बन कर रहुॅ

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22 APR 2023 AT 23:23

दो सिक्के जेब में खनकते है खूब हमने भी पूछ लिया कब तक खनकते रहोगे तुम उसने भी कह दिया जब तक रहोगे तुम खनकते रहेंगे हम

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31 MAR 2023 AT 2:36

ओढ़कर लिहाफ वो रो रहे थे
लोगो को ये लगा कि वो सो रहे थे

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28 FEB 2023 AT 3:37

मैं शायर हूँ और शहरनामा लिखता हूँ और जिस शहर में मैं ठहरता हूँ उसका सफरनामा लिखता हूँ

द्वन्द इतना ही रहता है कि क्या क्या लिखे और क्यो और कितना लिखे

कुछ वक्त ही तो गुजरे है तेरे शहर में बताओ इसके किनारो को कैसे लिखे

अभीतलक लहजे जरा सहजे नजर आए है बताओ इशारो को कैसे लिखे

हवाओ से गुफ्तगू होनी अभी बाकी ही है कि रुख़सत का वक्त हो चला हैं बताओ शहरनामा कैसे लिखे



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23 JAN 2023 AT 22:54

तुम्हारा शहर मेरा समस्या है और तुम उसका हल

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14 AUG 2022 AT 21:24

धरा मैं तेरा धैर्य हूँ
आसमाँ मैं तेरा शौर्य हूँ

फिर गण प्रमुख सब गौण क्यों
सत्य जण सब मौन क्यों

मैं दिल ए तरंग तिरंगा हूँ
मैं भारत प्रमुख पतंगा हूँ
मैं राष्ट्र ध्वज तिरंगा हूँ

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