Rahul Guglani   (राहुल गुगलानी,,,,,✍🙏)
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Joined 24 December 2018


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2 JAN AT 21:52

रात के बाद नए दिन की सुबह फिर आएगी
दिन नहीं बदलेगा बस एक तारीख़ बदल जाएगी
मौज मस्ती में जीवन तेरा,,यु ही बीत जाएगा
क्या हरि नाम जिव्हा पर कभी तेरे आएगा ।।

भोगो में दिन गुजरा,,भोगो में रात गुजर जाएगी
ये सांसो की डोर यु ही थम जाएगी
ये मनुष्य जीवन व्यर्थ ही चला जाएगा
क्या हरि नाम जिव्हा पर कभी तेरे आएगा ।।

माया के बाजार में ये शाम गुजर जाएगी
मौत आएगी किसी मोड़ पर न जाने कब डस जाएगी
तेरे हीरे मोती बाग बगीचे,, सब यही धरा रह जाएगा
क्या हरि नाम जिव्हा पर कभी तेरे आएगा ।।

उम्र का काम गुज़रना है ये यु ही गुज़र जाएगी 
रेत सी मुठी में है,,यु ही फिसल जाएगी
ओ रे बन्दे कुछ काम न तेरे आएगा
क्या हरि नाम जिव्हा पर कभी तेरे आएगा ।।


हर अंधकार  हट जाएगा,
तेरा जीवन बदल जाएगा
ओ रे बन्दे अब तो आँखे  खोल
हाथ उठा ,, मुख से अपने बोल
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।

🙏 राहुल गुगलानी 🙏

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3 JAN 2023 AT 23:04

हरि नाम की माला कर ले,,
तेरा जीवन निकला जाए ऐ रे,,
जीवन तेरी बहती धारा कल कल बहती जाए ऐ रे
हरि नाम की माला कर ले,,,,,,,,,,

तेेेरे सपनो का बाजार साजा,,तेरी इच्छाओ का मेला रे ।
दो पाटन के बीच मे ,,कैसे माया,, पीसे जाए ऐ रे ।।
जीवन तेरी बहती धारा कल कल बहती जाऐ रे
हरि नाम की माला कर ले,,,,,,,,,,ll

मेरा-मेरा कहते- कहते ,,तेेरा जीवन फिसला जाए रे ।
सब को आपना मान रहा है,, कुछ भी न,,यहाँ तेरा रे
जीवन तेरी बहती धारा कल कल बहती जाऐ रे
हरि नाम की माला कर ले,,,,,,,,,,ll

तन को तुने साफ किया रे,,पर मन तो फिर भी मैला रे
जो है ,,आज नही है कल वो,, ये तो बस सब खेला रे
जीवन तेरी बहती धारा कल कल बहती जाऐ रे
हरि नाम की माला कर ले,,तेरा जीवन निकला जाए रेll

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6 MAY 2022 AT 12:46

जाने क्यूं
अब शर्म से,
चेहरे गुलाब नही होते।
जाने क्यूं
अब मस्त मौला मिजाज नही होते।
पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें।
जाने क्यूं
अब चेहरे,
खुली किताब नही होते।
सुना है
बिन कहे
दिल की बात
समझ लेते थे।
गले लगते ही
अपने हालात
समझ लेते थे।
तब ना फेस बुक
ना स्मार्ट मोबाइल था
ना ट्विटर अकाउंट था
एक चिट्टी से ही
दिलों के जज्बात
समझ लेते थे।
सोचता हूं
हम कहां से कहां आ गये,
प्रेक्टीकली सोचते सोचते
भावनाओं को खा गये।
रिशते भी एहसानों के कर्ज दार हो गये
हम इंसान थे और अब क्या हो गये ।।

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8 APR 2022 AT 9:10

कृष्णा कृष्णा जपते फिरते,,भक्तों की हर टोली,,
पुछ रहे है कण कण से कहाँ हो हे त्रिपुरारी,,
नैना तेरी बाट जोह रहे,, कब आओगो गिरधारी,,
सांज सवेरे तुम को भजते,हे भक्तों के हितकारी,,
कान्हा तेरा रूप सलोना जिस पे सब बलिहारी,,
गीता का संदेश सुनाया,,सृष्टि के पालन हारी
सब के मन को मोहने वाले, ओ मोहन बिहारी,



😊राहुल गुगलानी🙏🙏

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9 DEC 2021 AT 10:51

इस माटी की आन रहा वो,,
भारत माँ की शान रहा वो,,
मात् भूमि पे जान लूटाने रहा सदा तैयार वो,
उस की इक आहट भर से ,,
दुशमन कांपे बांरमबार जो,,

भारत की माटी में जन्मा ऐसा वीर लाल वो,,
भारत की माटी में जन्मा ऐसा वीर लाल वो,,


🙏शत् शत् नमन उन सब वीरों को 😔

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27 NOV 2021 AT 19:55

घर से दुर निकल आया मैं
सारी दुनिया से हुआ पराया मैं,,
कोशिश तो सब ने पूरी कर ली
पर किसी से न गया भुलाया मैं,,
चुनने तो निकला था चंद मोती
पर कुछ पत्थर संग ले आया मैं,,
मैं बस तब तक ही,,तो जीवित था
जब तक चलता नजर आया मैं,,
कुछ अनसुलझे सवालो का
उत्तर वही रटा रटाया मैं,,
शौर मचाती इंसानों की बस्ती से
जान बचा कर,,निकल आया मैं,
जब अपने अन्दर झाँक कर देखा
तो खुद से ही शरमाया मैं,,
बिना पते का लिखा इक ख़त हूँ
वो भी सब से पढ़ा पढ़ाया मैं,,

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16 NOV 2021 AT 13:40

न उकेरो ज़हन में मज़हब की लकीरों को ,,
इंसान फिर शैतान हो उठेगा,,
लहू बहेगा दरियाओं सा ,,लाशों का अम्बार लगेगा,
धुंआ-धुंआ सा हर शहर फिर जल उठेगा ,,
हर तरफ शमशान सा मंजर रहेगा ,,
इंसान फिर शैतान हो उठेगा ।।

हर घर में मातम,,हर घर से शौर उठेगा,,
जनाजों का मंजर गली - गली आम रहेगा,,
न उकेरो ज़हन में मज़हब की लकीरों को,,
इंसान फिर शैतान हो उठेगा ।।

जो फैला रहे है ज़हर ,,आबोहवाओं में,
उन ही का घर,, ज़हान,, आबाद रहेगा ,,
अरे,,मत बन कटपुतली ऐ माटी के बुत,,
तेरे बाद तेरे अपनों का क्या होगा,,
न उकेरो ज़हन में मज़हब की लकीरों को,,
इंसान फिर शैतान हो उठेगा ।।

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2 NOV 2021 AT 12:12

सादर राधे राधे जी
🙏💐🙏
पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व की आप सब को सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।
धनतेरस,
रूपचौदस,
दीपावली,
अन्नकूट-गौवर्धन पूजन तथा
भाईदूज पर
हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को स्वदेशी रूप से संजोये।
सभी पर्व मंगलमय एवं समृद्धिशाली हो।
🙏🙏💐🙏🙏

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13 OCT 2021 AT 12:11

हर तरफ बदगुमानी का समंदर ज़हन में
मेरे-तेरे तुफान उठाता है ।
कुछ ज्यादा कुछ कम,
ज़हन में मेरे को क्यों जलाता है।।
नफरतों का बीज़ ज़हन में खुद ही लगयें बैठे है ।
क्यों खुद को खुद का ही दुशमन बनायें बैठे है ।।
ना समझी का आलम देखों, जो है उस से ,,खुश नही,,
जो है नही,,उसे गमों का दरिया बनायें बैठे है ।
रौशन है जिन,, का जहान चिरागों से,,
वो दिलों में अंधरे किये बैठे है ।
पूछो उन अंधरों से ,,
जो इक लौ से,, रौशन जहान किये बैठे है ।।
नफरतों का बीज़ ज़हन में खुद ही लगयें बैठे है ,,,,

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30 AUG 2021 AT 11:49

सपरिवार आपको जन्माष्टमी की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ ,जय श्री राधे कृष्णा

🙏🌹राधे🌹 राधे🌹🙏

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