तय है ये वनवास एक दिन खत्म होगा
मेरे इश्क़ का भी अगला जन्म होगा !!-
संकल्पी किशोर 😎
प्रौढ़ पंचायती 😇
संगीत का दीवाना 🎼
लिखने की आदत ज्यादा नह... read more
हाथ कभी खाली नही निकला,
कभी मिठास कभी खुशियों का शोर लाती थी,
हाथों का तिलिस्म तो नही था
वो जेब ही करामाती थी
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हम गले न लग सके इस ईद में,
गले लगना जैसे रूह का सुकून है
नज़रे झुका के मिलते सलाम-ए-इश्क,
ईद के इस चांद की ये ईदी भी कुबूल है ।-
ख़ामोश सा घाट भी अपने रंग में आयेगा
महाकाल का नगर भक्तों से भर जायेगा
नावों में मल्लाह फिर से राग गंगा का सुनाएंगे,
धुंए में मग्न साधु महादेव के गुण गायेंगे
सारंगी की धुन पर कोई बैरागी फिर से झूम जायेगा
नागा साधुओं का झुंड भस्म भोले की हवा में उड़ाएगा
पंछियो की चहक से होगा आगाज़ शाम का
सैलानियों की जुबां पे किस्सा होगा काशी नाम का-
दिल को तसल्ली मिले वो लम्हा अब मुमकिन नही,
बस एक झूठ के सहारे खुद को संभाले है-
दिन के उजाले मेरी परछाईं दिखलाते है
वो रात के क़िस्से बहुत याद आते है
मैं खुद को बयां करता था पत्थर के जैसे
वो एक मूर्तिकार सा मुझे निखारते थे-
मेरे एहसासों को बावलेपन का नाम दिया
दिल मे रहकर दुश्मनों सा काम किया
मैं ज़िदंगी की सौगात ले आया था तेरे दर तक
तुमने इस्तेमाल थैले सा मेरा अंजाम किया-
मेरी पसंद का हर गीत उसको सुनाया था
राज़ की क़िताब के हर पन्ने से उसे मिलाया था
मेरे अकेलेपन के हर कोने से रुबरु थी वो
अँधेरे खण्डर सा बन गया था तन्हा रहकर
सूरज की किरणों सा दिल के आँगन तक लाया था
उसकी पसंद के तोहफ़े कई बार ले गया था
घऱ के खौफ से उसने हर बार मुझे ठुकराया था
हमें तो आदत न थी मांगने की खुदा से
उस इत्तेफाक ने ही मुझे ख़ुदा से मिलाया था
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जवानों ने सरहद को रोशनी से नहलाया है
हमने उम्मीदों से भरा दीपक चौखट पे जलाया है
आह्वान था देश के लिए साथ खड़े होने का
अखण्डता की ज्योति से हर कोना जगमगाया है
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