Rahul Gayakwad   (साधुत्व)
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28 नवम्बर 2001
No need to certified the art
That's why I'm poet from heart
Joined 21 January 2018


28 नवम्बर 2001
No need to certified the art
That's why I'm poet from heart
Joined 21 January 2018
2 JUN 2021 AT 15:24

उठो तो टूटा, जागी तो आधा...?
जिंदगी हैं, ख्वाब थोड़ी हैं जिंदगी!
जो था बोया,वो मिलेगा, क्या साधा?
पिछला मिजान हैं, ख़्वाब नहीं है जिंदगी

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25 MAY 2021 AT 12:53

सदभक्ति का मार्ग, प्रमाणित एकमात्र हैं
इसी में चलना है इसमें कोई दोराय नहीं
लोकवेद है मनमाना,केवल मन मानेगा
यहां न माने तुम ,अपने दरबार में धर्मराय नही

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20 MAY 2021 AT 17:13

टूटा, पर गिरा नहीं, साथ सही था

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11 MAY 2021 AT 19:10

बीते हर पल में मिला , याद बाब रख
'खरगोश' तो रहा मिलने को अब आसमान में
दिया जला, आंगन में आफताब रख

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9 MAY 2021 AT 14:22

कुछ हिम्मत जुटा कर जो लिखे थे जज़्बात
डायरी में, मेज़ के नीचे दबा कर मत रखना
दे आओ उस मंदिर में,या जला दो बेहतर होगा
इससे की फिर किसी को दबा कर क्या रखना

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9 MAY 2021 AT 14:15

सब
बोलती हैं
कुछ नहीं
मां है तो सब है, वरना
सब कुछ नहीं

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8 MAY 2021 AT 13:20

अक्सर ,वो दोहरा परेशान नजर आता है
मां -बीवी के झगड़ो का बेशक असर आता है
काम पर, घर की चिंता उसको भी होती हैं
दो मकान के सपने, कुचल रोज एक घर आता है।

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8 MAY 2021 AT 13:02

हर एक पन्ना, हर पन्ना अनेक ही शब्द
मैं गलत तो बिलकुल लिख सकता हूं
पर मिटा नही सकता एक भी शब्द

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28 APR 2021 AT 14:30

धर्म की किताबे ज़रूर होती हैं
पर किताबो का कोई धर्म नहीं होता।

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29 MAR 2021 AT 13:09

भगत,भगत के लाज की गरिमा
हैं इतनी ,ये उनकी हया रही
ये जो कहते,आज अपशप्द सभी
यही जबाने बोलेंगी परमात्मा की दया रही!

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