उतना आसान भी नहीं, नाराज़गी, बिना मन, भारी हर दिन और शाम जीना।
लाख कोशिशों से मिला यह प्यार भुला कर, रंजिश के कड़वे जाम पीना।।
पता भी नहीं चलता कब, छोटी छोटी बातें कब बड़ी बन जाती है।
एक दूसरे से जुड़ जुड़ के मसले, जंजीर की कड़ी सी माथे तन जाती है।।
रिश्तों की मीठी दुनिया में, रुसवाइयों की कोई जगह नहीं हो सकती।
गुल ही गुल बिखरने हो जहां, कंटीली टहनी संग अच्छी नहीं लगती।।
इश्क मुश्किलों से भी मिलता है, फितरत से होता भी खूब कच्चा है।
झूठी हैं यह गम भरी बातें सारी, अपना साथ ही बस यह सच्चा है।।
कोशिश करना खुद को समेट कर, फिर बिखरे इश्क को जमा कर सके।
उठा कर अपनी प्यार की तस्वीर, संग बैठें और सारे रंग साथ में भर सकें।।-
Penning thoughts to vent out, and not f... read more
इश्क़ मांगना भी अगर गुनाह है तो,
यह गफलत अब यूं ही ना होगी।
हर अल्फाज़ तोल सोच के बोलने हैं तो,
पूरी सच्चाई फिर उनमें कहां होगी।।
सुनना चाहती ही है अगर तू सिर्फ वही,
जो की तू सुनना चाहती है।
वोह ही पेश ए नज़र करूंगा अब हमेशा,
ख्वाब जैसे तू बुनना चाहती है।।
आसान तो नहीं होता ना इतना,
अपनों पे ऐसे ही तोहमतें लगा लेना।
दिल की जगह पत्थर रखा होगा खुदा ने सीने में तेरे,
जो सीखा ऐसे सजा देना।।
ज़ुबान हो या तीर,
एक ही तो बात मानी जाती है ज़माने में।
दोनों को चलने के बाद रोकना मुश्किल,
मज़ा सिर्फ रह जाता है चलाने में।।-
ज़माने बाद अब हम दरअसल भरी महफ़िल में भी अकेले नहीं होते।
कहकहे लगाते, हंसते, खिलखिलाते हैं, अब मन ही मन नहीं रोते।।
कितना कमाल है यह साथ तेरा, जो सबकुछ खुशनुमा लग रहा है।
चले गए हैं यूं तो हम सब ही जश्न मना के, तेरा प्यार मेरे संग घर आ गया है।।-
प्यार की यह कहानी क्या है, जो तेरी और मेरी है।
ग्रीष्म सी फिर जवानी क्या है, जो तेरी और मेरी है।
ख़ून में होती रवानी क्या है, जो तेरी और मेरी है।
प्रेमगीत की वाणी क्या है, जो तेरी और मेरी है।
इश्क़ में हुई नादानी क्या है, जो तेरी और मेरी है।
इतना जानूं रब के आगे, मैं तेरा, तू मेरी है।
दिल के जोड़े मन के धागे, मैं तेरा, तू मेरी है।
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हाथ में थी फ़ेहरिस्त ज़िन्दगी के कई ज़रुरी काम की,
सबसे पहले फ़ज़ियत हो गयी इश्क़ के मुक़्क़ाम की।
जीत हुई 'बातिल' दुनिया में 'रिश्ते-ए-ज़र' की,
आंखें भर आईं हें भरी महफ़िल में मेरे 'प्यार और क़राबात' की।
कभी इतराते थे तुझसे आशिक़ी की हद पे खुद की,
आई अक़्ल जब देखी शक्ल शफ़क़त में हार की।
अब शायद दूरियां ही रोक पाएं इस बहते ख़ून को मेरे,
यह जिस्म की सारी नसें जो तूने काट के खाक की।
हाशिया-
* फ़ेहरिस्त- सूची, list
* फ़ाज़ियत- दुर्गति, disgrace
* मुक़्क़ाम- मंज़िल, destination
* बातिल- झूठ, false
* रिश्ते-ए-ज़र- प्यार का रिश्ता, materialistic relationship
* क़राबात (read ख़राबात)- मयखाना, bar
* शफ़क़त- प्यार, love-
यूं तो तेरे इश्क का, पहरेदार हूं मैं।
आज मगर इस गलती का, गुनहगार हूं मैं।।
चाहता हूं बहुत टूटकर तुझको, जो यूं इस कदर।
तेरे जिंदगी भर के साथ का, हिस्सेदार हूं मैं।।
सोचता हूं, मेने सोचा भी कैसे, की तेरे प्यार में कोई कमी हुई।
मेरी इस गलत ख्याल भर से ही, तेरी आंखों में जो नमी हुई।
माफ करना, बहुत रोक के, बयान कर गया था ऐसे ही दर्द ए दिल।
गलती से शायद, बह गई फिर, सर्दी में झील वो जमी हुई।।
सदाबहार जंगल सा यह इश्क, हमेशा हरा भरा जो बना रहे।
हर दरख़्त पे तेरा नाम लिखूं, जो आसमान की ओर यूं तना रहे।।
कोई कमी न हो हमारे संग में कभी, खुदा से यही दुआ है मेरी।
मेरे इश्क में सदा डूबी रहे तू, और मेरा तेरे प्यार में हर कतरा कतरा सना रहे।।
जिंदगी बहती रहे जैसे, कोई पागल नदिया पर्वत से उतर जाती।
ना तूफान से, ना आंधी-बारिश से बुझ सके अपने प्रेम की बाती।।
खट्टा मीठा, कड़वा तीखा, सारे स्वाद अब साथ ही चखेंगे मिलके।
होगी हमसफर तू साथ मेरे, फिर भी तमाम जिंदगी लिखता रहूं, तेरे नाम प्रेम की पाती।।।-
'शबाब' गर पर्दानशीं रहे, तो सिर्फ इक बैचनी सी रह जाती है।
मगर 'शराब' जो यूं ही ढंकी रहे तो, अपने मुरीदों को इज्तीरार रख जाती है।।
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तूने शहर क्या छोड़ा, मेने सरहद पार कर दी।
तेरा प्यार जो कम हुआ थोड़ा, मेने हर हद पार कर दी।।-
ए जिंदगी माना तेरे सफ़र बहुत हैं, तू भुला दे पुराने हमसफर ये भी तो गलत है|
होंगी नई मंजिलें, नए रास्ते ये लाज़िम है, मगर हमसा कोई होगा ये इमकान फ़क़त है||-
Oh man, last few years, what a ride it had Been.
Nothing is left on earth, which I have not Seen.
Just recalled this when I learnt today is Halloween.
Someone entered house then and we thought she is Queen.
That was the time when everything looked so Right.
Thought all falling in place, future seem so Bright.
Till even love notes started turning into ugliest of Fight.
False alleges, abuses, yells, got me chocking so Tight.
It's good for life, now there remains no Devil.
Keep spreading love, no thought should be Evil.
We are no animal and hence behave basic Civil.
Human talk heart to heart, ghosts just Quibble.
Only praying for peace and prosperity for all Forever.
Welcoming friendship and love but enimity Never.
Had been a fool throughout life, now time to be Clever.
Crap is gone, what remains is my Treasure.
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