मुझ सा कहाँ कोई अपना है
ये हाकित नहीं, एक सपना है।
अहमियत इतनी रहीं मेरी अपनों के बाजार में
जान ले कोई हाल मेरा हम बैठे रहें इतंज़ार में
सब देखते रहे , देखते रहे और देखते ही रह गए
कोई देख न पाया हाल मेरा हम रह गए इतंज़ार में
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मैं कोई खास नहीं ,आम लोगो कि तरह आम हूँ मैं ।
धड़कन पूछे दिल से अहमियत अपनी
अब उन्हें कौन समझाए की धड़कनों की आवाज न सुने तो दिल दम तोड़ने लगता है ।
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तुमरा सपना को अपना माने और उसमें वो खुद रम जाए
धरती पे बस तीन ही हैं
माता ,पिता ,और गुरु कहलाए !
अंगुली पकड़ के चलना सिखलाये
कांधे बैठा दुनिया दिखलाये
अंधियारे को दूर भगा के
सही मार्ग को वो दर्शाए
खुद से ज्यादा तरक्कियों पे
खुशियों के मारे झूम वो जाए
धरती पे बस तीन ही है
माता पिता और गुरु कहलाए।-
तुम पेड़ ,इश्क़ फूल और हम जमीं होते!
तुम पेड़ के जड़ सा जकड़ती हमें
और हम उर्वरा ,शक्ति और नमी होते!
ये जो तुमसे सिर्फ जान पहचान है ,गुनाह सा लगता है
इस से अच्छा होता कि हम अज़नबी होते।
मेरा कांधा सिरहाने सा तुम्हारे सर के काम आता!
मेरी उँगलियाँ सवारती ज़ुल्फ गर हवा उसे लहराता!
तुम्हारी हर बात मेरी कानों से हो के गुजरती !
तुम्हारी नज़रों की बेचैनी खत्म मुझसे ही होती!
या तो तुम खुदा और हम नबी होते!
ये जो तुमसे सिर्फ जान पहचान है , गुनाह सा लगता है !
इससे अच्छा होता कि हम अजनबी होते।-
दोस्त नहीं परिवार हो तुम
पूर्ण बहुमत की सरकार हो तुम
दुःख ,गम को बाटंते हो हरदम ..
खुशियों का अंबार हो तुम ।
हरदम ऐसे ही साथ रहना
मस्ती का भरमार हो तुम
खट्टा ,मीठा , नमकीन , चटपटा
हर स्वाद का प्यार हो तुम ।
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कई सालों से इस तरह नज़रअंदाज किया गया हूँ
जैसे बरी बारीकी से अंदाज किया गया हूँ ।-
मैं कांटा हूं तेरे पांव का शौक से मुझको निकल जाने दे!
तुम शुबह हो ! और तुझे आना है , मैं शाम हूं मुझे ढल जाने दे।-
बेरोजगारी का ये आलम है कि हम सब से मिलना छोर दिये है
या यूँ कहें कि मिलने में डर लगता है !
लोग मिलते है , तो , ना ही , खुश हो ? न ही ,स्वस्थ हो? और ना ही ऐसा कोई हाल पूछते है
मिलते ही पहले, और भाई कर क्या रहे हो? यही सवाल पूछते है ।
😁😁😁-
आज कल!
इस कदर रिस्तों को संजोया जा रहा है
जैसे छलनी में पानी को ढोया जा रहा है
जो हैं, उसकी कदर ही नहीं....
जो नहीं है, उसके लिए रोया जा रहा है।
शिर्फ़ पाने की राह पे चल रहे है सब
अहंकार की आग में जल रहे है सब
रिस्तों की आग को इस कदर सुलझाया जा रहा है
जैसे धधकते आग को तेल से बुझाया जा रहा है ।-
बड़ी बारीकी से देखें है तुम्हारी हर तस्वीर को यारा....
तुम मुस्कुरा के अपना गम छुपा लो , ये मुमकिन नहीं।-