आज गणतंत्र दिवस मना तो लिए,
हवा में तिरंगा लहरा तो लिए,
अपनी एक दिन की देशभक्ति दिखा तो दिए,
लेकिन कल तिरंगा सङको पे, जमीन पे, न मिले इसका ख्याल रखना,
देश की शान किसी के पैरो के नीचे न आ जाए ये ध्यान रखना।
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घर की ओर कदम बढ़ाते हुए एक अलग सी खुशी का अनुभव होता है,
क्यूँकी वहां वो (मां) है जो राह देख रही होती है...-
कुछ ख्वाइशे अधूरी रह गई,
इस दिल से उस दिल की दूरी रह गई।
मुक्कमल होगी शायद अगले जनम में सारी ख्वाहिशे,
पूरी होगी वो कहानी जो अधूरी रह गई।
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Ek pal me ek sadi ka maja humse puchiye.
Do din ki zindgi ka maja humse puchiye.
Bhule h rafta rafta unhe muddato me hum.
Kisto me khudkhusi ka maja humse puchiye.
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इंसान हूँ कोई छूरा तो नहीं हूँ।
कभी हमें भी याद कर लिया करो इतना बुरा तो नहीं हूँ।
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मुझे मेरी मोहब्बत में कोई ख़िताब नहीं चाहिए ,
मुझे तुम्हारे चेहरे पर हिजाब नहीं चाहिए ,
ऐसा सपना जिसमे तुम और मैं एक ना हो ,
टूट जाए उसी वक्त मुझे वो ख्वाब नहीं चाहिए।
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एक बार हाल तक न पुछा उसने,
जो कभी पल पल की खबर रखते थे।
एक बार मुङ के भी न देखा उसने,
जो कभी आंखे भर भर के देखते थे।
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खूबसूरत कुछ नहीं होता,
खूबसूरत बनाया जाता है,
अपना कोई नहीं होता,
अपना बनाया जाता है,
बिना खबर किए बिच राह में छोर जाते हैं जो,
उन्हे बताओ बिछरते वक्त गले लगाया जाता है।-
दिल में तो अब भी प्यार है,
पर अब जताना नहीं है।
दर्द दबि है सांसो में,
पर अब किसी को बताना नहीं है।
जुल्मे सितम बहुत सह लिए,
अब चोट खाना नहीं है।
लाखो परे हैं कतार में मोहब्बत लिए,
पर अब किसी को अपना बनाना नहीं है।-