फुर्सत निकाल
कर बैठ एक
रोज मेरे पास भी
जाने कितने ही
लफ़्ज़ उदास बैठे
हैं इतवार से
काम धंधा छोड़ के
......बस.....
तेरे इंतजार में...
_ # सपने-
It's tell me what happened in market.
हमारी नींद (सुकुन)
हमारे सपने (भविष्य)
हमारा प्यार (rrr)
हमारी चाहत (काफी)
हमारे अनकहे जज़्बात
हमारा रखा हुआ सब्र
और
हमारी भूख 😊 🧆🥘☕
_foody_person_-
तमाम वादे हो रहे थे चांद के नाम पर
फिर सारे भुला दिए अंधेरी रात के नाम पर
_🏝️🏝️🏝️-
एक फिज़ा की शाम में मर बैठे हम 😌
नहीं तो दस्तूर-ए-इश्क कोई नया नहीं था
_rrr-
ख्वाबों का भी कोई रंग होता होगा सहाब
अक्सर तन्हाई आते ही बदल जाते हैं 😌-
अपने ही भूल जाते है अंजान शहरों में जाकर
लगता है सरकार फिर यादों पर टैक्स बढ़ा रही है
💔💔-
#_RRR
अंधेरी रातों से गुफ्तगू करने का मजा ही अलग है
तेरी बातों को सुनने का सुकुन ही अलग है
तेरी यादों में रहने की चाहत ही अलग है-
हर रोज रोते हैं हर रोज सोते हैं
इतिहास गवाह है सहाब
इश्क़ ने हमेशा चुनी है वो जवां
जो आज तक कोई बोल नहीं पाया
मिर्जा की साहिबा हो या हीर हो या लैला-