ज़हन की बातें कुछ ज़हन में ही रहें तो बेहतर होगा...
दुनियाँ साथ सिर्फ़ अर्थी उठानें में देती है ग़म बाटनें में नहीं...!!-
वरना वो तो मेरे भेजे हुए कबूतर भी मार देती
मेरे रूह की रवानी है
भरोसा है मुझे ....
क़िस्मत पर भी वक़्त पर भी.
ये तेरे साथ होने की निशानी है...-
अगर मैं दूर हो जाऊं
तो कभी याद करोगे क्या....?
कभी शांत रातों में मन में
हलचल होगी क्या...?-
To be rich is not what you have in your bank account....
But what you have in your HEART
💞💞💞-
तेरी तो फ़ितरत थी सबसे हँस के बाते करने की,
बेवजह हम खुद को खुशनसीब समझ बैठे😔😔😔😔-
शमीम-ए-दुआ अल्लाह से मांगा है,
दे जन्नत तेरे पैरों मे ये दुआ मांगा है,
तक्दीस हर एक रेज़ा रेज़ा में था,
बशर चला कई हजारों के बीच,
दिल मे एक पे-पनाह मोहब्बत थी,
छोड़ चला कई यादों के बीच।।
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“ख़ामोश लबों से निभाना था हमको ये रिश्ता,
पर कम्बख़त धड़कनों ने चाहत का शोर मचा दिया”-
मैं उसके आगे रों भी देता था,
जिसे कोई फर्क नहीं पड़ता मेरे रोने से,
वो वक्त भी अब बीत गया,
जब रोते थे तो ज़माना चुप करवाता था...-
ज़िन्दगी के सफ़र में काटे बहुत मिले
मरहम ना मिला, ज़ख्म बहुत मिले..-