Rahul Chaudhari  
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ये जो मै रोज अधूरे से शेर कहता हूँ ,
कभी तुम तक पहुंचे तो मुकम्मल हो जाए ! ©
Joined 4 August 2017


ये जो मै रोज अधूरे से शेर कहता हूँ ,
कभी तुम तक पहुंचे तो मुकम्मल हो जाए ! ©
Joined 4 August 2017
7 APR 2023 AT 22:48

कौन केहता है इश्क दोबारा नहीं होता ।

मुझे सौ बार उसी से इश्क हुआ है ।

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21 MAR 2022 AT 14:03

ज़माने का शोर सून कर इंजीनियर बन गए हम ।

अंदर की आवाज़ सूनते तो शायर बन गए होते ।

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24 FEB 2022 AT 22:49

अंजाम-ए-जंग जीत हो नही सकती ।

एक हारकर हारेगा एक जीतकर हारेगा ।

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19 AUG 2018 AT 13:16

सावन का महीना रिमझिम सी बरसात
आखो को अब भी है तेरी तलाश ,
मै हूँ , सन्नाटा है, और ये तन्हाई है
आज फिर से तेरी याद आयी है !

आज फिर कलम ने हाथ थामा है ,
जज्बातो का फिर उमड़ा तराना है ,
लो आज फिर नयी कविता बनायीं है ,
आज फिर से तेरी याद आयी है !

आज फिर गोल गप्पे खाएंगे ,
आज फिर से सिनेमा जाएंगे ,
थिएटर में तुम्हारे पसंद की फिल्म आयी है ,
आज फिर से तेरी याद आयी है !

आज फिर चलो एक दूसरे से लड़ते है हम,
रूठ जाओ तुम हमसे , मनाते है हम,
क्या उधड़ गयी हमारे रिश्ते की तुरपाई है ?
आज फिर से तेरी याद आयी है !

आज फिर शादी की बात चली है ,
आज फिर बहाने से बात टली है ,
कोई है क्या दिल में,अब पूछती भोजाई है ,
आज फिर से तेरी याद आयी है !

- Rahul Chaudhari
















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9 OCT 2021 AT 7:43

दरवाज़ा खुला है दोनों ही तरफ का

दोनों ही हवाओं में दस्तकें दे रहे है ।

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10 APR 2021 AT 15:59

किसीको पानी मारे किसी को धूप मार दे ।
किसी को सुख मारे किसी को दुख मार दे ।

आफत मारेगी तब मारेगी यहां किसीको ,
इंतज़ाम पूरा है पहले भूख मार दे ।©

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3 JUN 2020 AT 21:14

कली से फूल होनेवाला था मैं ।
माँ,खुशबू बिखेरनेवाला था मैं ।

अच्छा हुआ इंसान पहले मिला,
वरना जंगल देखनेवाला था मैं ।

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11 APR 2020 AT 23:00

ये अकेले दरख़्त पंछियो का रास्ता देख रहे है के वो आकर इनके फल चुरा ले । धूप में तपती सड़के अपनी तन्हाई का सोग मनाती है । नदियों का पाणी बस बहता जा रहा है कोई भी अब इनमे गोते नही लगा रहा । सूरज की किरणे घर के अंदर आना चाहती है पर दरवाज़े से टकराकर वापस लौट जाती है । बस ये धरती है जो आसमा ओढे बैठी है । अब अगर आसमान में इंद्रधनुष बन भी जाए तो कौन उसके रंग देखेगा । ज़िन्दगी में रंग ज़रूरी है, मगर ज़िन्दगी और ज़रूरी है ।

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4 APR 2020 AT 19:00

मैं हर पल मैं हो रहा हूँ ।
मैं हर कल आज हो रहा हूँ ।

बाहर बहार,अंदर सब सूना,
लगता है मैं शहर हो रहा हूँ |

कड़वाहट मिटानी है दुनिया से मुझे,
मैं शराब में पानी हो रहा हूँ ।

तेरे हाथो की मेहंदी बनना था मुझे,
तेरी यादो से भी दूर हो रहा हूँ ।

दुनिया से फासलों का फायदा ये है,
के मैं खुदके करीब हो रहा हूँ ।


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2 FEB 2020 AT 10:25

फिर वायदों ने हक़ीक़त से अदावत की है |
फिर क़ातिल ने मज़लूम की वकालत की है |

वो जिसके लिए कल मयस्सर किये थे करोड़ो,
आज क्यों उसी के गले ने फंदे से मोहब्बत की है |

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