कौन केहता है इश्क दोबारा नहीं होता ।
मुझे सौ बार उसी से इश्क हुआ है ।-
कभी तुम तक पहुंचे तो मुकम्मल हो जाए ! ©
ज़माने का शोर सून कर इंजीनियर बन गए हम ।
अंदर की आवाज़ सूनते तो शायर बन गए होते ।
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अंजाम-ए-जंग जीत हो नही सकती ।
एक हारकर हारेगा एक जीतकर हारेगा ।-
सावन का महीना रिमझिम सी बरसात
आखो को अब भी है तेरी तलाश ,
मै हूँ , सन्नाटा है, और ये तन्हाई है
आज फिर से तेरी याद आयी है !
आज फिर कलम ने हाथ थामा है ,
जज्बातो का फिर उमड़ा तराना है ,
लो आज फिर नयी कविता बनायीं है ,
आज फिर से तेरी याद आयी है !
आज फिर गोल गप्पे खाएंगे ,
आज फिर से सिनेमा जाएंगे ,
थिएटर में तुम्हारे पसंद की फिल्म आयी है ,
आज फिर से तेरी याद आयी है !
आज फिर चलो एक दूसरे से लड़ते है हम,
रूठ जाओ तुम हमसे , मनाते है हम,
क्या उधड़ गयी हमारे रिश्ते की तुरपाई है ?
आज फिर से तेरी याद आयी है !
आज फिर शादी की बात चली है ,
आज फिर बहाने से बात टली है ,
कोई है क्या दिल में,अब पूछती भोजाई है ,
आज फिर से तेरी याद आयी है !
- Rahul Chaudhari
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दरवाज़ा खुला है दोनों ही तरफ का
दोनों ही हवाओं में दस्तकें दे रहे है ।
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किसीको पानी मारे किसी को धूप मार दे ।
किसी को सुख मारे किसी को दुख मार दे ।
आफत मारेगी तब मारेगी यहां किसीको ,
इंतज़ाम पूरा है पहले भूख मार दे ।©
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कली से फूल होनेवाला था मैं ।
माँ,खुशबू बिखेरनेवाला था मैं ।
अच्छा हुआ इंसान पहले मिला,
वरना जंगल देखनेवाला था मैं ।
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ये अकेले दरख़्त पंछियो का रास्ता देख रहे है के वो आकर इनके फल चुरा ले । धूप में तपती सड़के अपनी तन्हाई का सोग मनाती है । नदियों का पाणी बस बहता जा रहा है कोई भी अब इनमे गोते नही लगा रहा । सूरज की किरणे घर के अंदर आना चाहती है पर दरवाज़े से टकराकर वापस लौट जाती है । बस ये धरती है जो आसमा ओढे बैठी है । अब अगर आसमान में इंद्रधनुष बन भी जाए तो कौन उसके रंग देखेगा । ज़िन्दगी में रंग ज़रूरी है, मगर ज़िन्दगी और ज़रूरी है ।
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मैं हर पल मैं हो रहा हूँ ।
मैं हर कल आज हो रहा हूँ ।
बाहर बहार,अंदर सब सूना,
लगता है मैं शहर हो रहा हूँ |
कड़वाहट मिटानी है दुनिया से मुझे,
मैं शराब में पानी हो रहा हूँ ।
तेरे हाथो की मेहंदी बनना था मुझे,
तेरी यादो से भी दूर हो रहा हूँ ।
दुनिया से फासलों का फायदा ये है,
के मैं खुदके करीब हो रहा हूँ ।
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फिर वायदों ने हक़ीक़त से अदावत की है |
फिर क़ातिल ने मज़लूम की वकालत की है |
वो जिसके लिए कल मयस्सर किये थे करोड़ो,
आज क्यों उसी के गले ने फंदे से मोहब्बत की है |-