कुछ दर्द अश्क बनकर आँखों में उतर जाते हैं कुछ दर्द बनकर मुस्कुराहट इन लबों को सजाते हैं बस वक़्त वक़्त का फर्क हैं कुछ दर्द लबों से बयां हो जाते हैं तो कुछ बनकर नासूर हर लम्हा दिल को जलाते हैं दर्द के रंग भी कुछ कम नहीं है रकीब के हर कदम पर ये एक नये रंग में सामने आते हैं
तुझे भी पता हैं और मुझे भी पता हैं ये तेरे मेरे दरमियां एक अनकही सी दास्तां हैं ये तेरा मेरा रिश्ता तो बस अब कागज़ों में बचा हैं ये तेरी जफ़ा और मेरी वफ़ा का इक टुटा हुआ किला हैं कैसे कहें किसीसे के इस दिल को क्या हुआ हैं शायद दर्द से लड़ते लड़ते ये ऊब सा गया है कसमों, नज़्मों, वादों और यकीं का मज़ार भी अब ढह सा गया हैं के इस मकबरे के मलबे में बस दर्द शेष बचा हैं बेपनाह पाक मुहब्बत का यही सिला हैं के दर्द का आँचल ही अब दिल का सुकून रह गया हैं
कोशिश तो बहुत की हमने खुद को मनाने की कोशिश तो बहुत की हमने तेरा दिया दर्द भूल जाने की कोशिश तो बहुत की हमने साथ निभाने की कोशिश तो बहुत की हमने सब कुछ भूल जाने की कोशिश तो बहुत की हमने खुद के आँसू छुपाने की कोशिश तो बहुत की हमने बेवजह भी मुस्कुराने की पर लगता है मेरी हर कोशिश को नजर सी लग गई जमाने की