मेरी मोहब्बत को रुसवा करके
तुम सुकून कहां पाओगे
जिस गली से गुजरोगे
हमारे नाम से जाने जाओगे
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Birthday 9th February
कुछ दर्द अश्क बनकर
आँखों में उतर जाते हैं
कुछ दर्द बनकर मुस्कुराहट
इन लबों को सजाते हैं
बस वक़्त वक़्त का फर्क हैं
कुछ दर्द लबों से बयां हो जाते हैं
तो कुछ बनकर नासूर हर लम्हा
दिल को जलाते हैं
दर्द के रंग भी
कुछ कम नहीं है रकीब
के हर कदम पर ये
एक नये रंग में सामने आते हैं
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अगर कोई ऐसा कैमरा भी होता
जिसमें दिल का दर्द अक्श बन कर उतर पता
तो यकीन करिए उस अक्श में भी
सिर्फ आपका चेहरा ही नजर आता-
मैं एक सायरा हूँ जनाब
लब्जों से खेलना फितरत हैं मेरी
ऐसे कैसे सीधे सीधे कह दूं
दिल का दर्द मैं
के नए नगमों के लिए मुझे
इन लम्हों की जरूरत हैं
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लेखक इक खयाल लिखता है
शायद अपनी रचना में वो छुपा सवाल लिखता है
जो शब्द वस्त्रों की खाने हो
तो वो रेशमी रुमाल लिखता है
शब्दो के मोती से वो अहसासों के जाल लिखता है
जो देख के भी अनदेखी हो
वो बवाल भी लिखता है
लेखक वो लौ है जो जलके
महफ़िल की चाल लिखता है
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देखा जो तुझको दिल में हलचल सी हुई ,
दिल के दरवाजे पे एक दस्तक सी हुई ,
देखा जो तुझे ,भुला खुद को मैं,
दिल है तो वही पर अब धड़कन लगे नई.....
चाहा जो तुझको मैंने ,मेरी खता नही
तेरी ये सादगी ही मुझको पागल कर गई
कहता ये दिल मेरा ,हर लम्हा हर घड़ी
तू ही हैं आशिकी ,है आशिकी तू मेरी..........
देखा जो तुझको दिल में हलचल सी हुई..........
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तुम्हे चाहना
जलती हुई सिगार का एक कस हैं जैसे
मजा भी हैं ,सज़ा भी हैं
ज़िन्दगी का सुकून भी हैं
और मौत की वजह भी हैं
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तुझे भी पता हैं और मुझे भी पता हैं
ये तेरे मेरे दरमियां एक अनकही सी दास्तां हैं
ये तेरा मेरा रिश्ता तो बस अब कागज़ों में बचा हैं
ये तेरी जफ़ा और मेरी वफ़ा का इक टुटा हुआ किला हैं
कैसे कहें किसीसे के इस दिल को क्या हुआ हैं
शायद दर्द से लड़ते लड़ते ये ऊब सा गया है
कसमों, नज़्मों, वादों और यकीं का
मज़ार भी अब ढह सा गया हैं
के इस मकबरे के मलबे में बस दर्द शेष बचा हैं
बेपनाह पाक मुहब्बत का यही सिला हैं
के दर्द का आँचल ही अब दिल का सुकून रह गया हैं-
Jaane Kyon Mujhe Aaj Bhi Tera Intezar Hai
Janti Hun ke tere Dil Mein Koi Aur Hai
magar Jaane Kyon mujhe aaj bhi tujhse hi pyar hai-
दिल की जमीं पर मोहब्बत के मकबरे हैं
वक़्त बढ़ रहा हैं आगे और हम वहीं खड़े हैं-