Ragini shneh Tiwari   (रागिनी तिवारी ' स्नेह ')
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Joined 9 July 2019


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Joined 9 July 2019
12 AUG 2021 AT 19:29

थी लगी बंदिशे तोड़कर आ गए।

नंगे पांवो से हम दौड़कर आ गए।

प्रेम से तुमने जब भी पुकारा हमें,

हम भरी महफिलें छोड़कर आ गए।

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28 JUN 2021 AT 14:05

मैंने कब कहा था
की उम्र भर साथ निभाओ,
पर जब तक मेरी दुनिया में रहो
सिर्फ़ मेरे ही रहो.......

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28 JUN 2021 AT 14:01

मैंने कब कहा था
की उम्र भर साथ निभाओ,
पर जब तक मेरी दुनिया में रहो
सिर्फ़ मेरे ही रहो.......

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7 APR 2021 AT 12:14

इज्जत को नीलाम कर गए,
मोहब्बत का दंभ जो भरते थे।

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19 JAN 2021 AT 7:57

अभी अभी तो हम मिले थे..

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3 DEC 2020 AT 13:38

इक आस लिए
तू मिल जा मुझे
मेरे लिए !!!!!

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3 OCT 2020 AT 14:09


जिसे प्रेम के नाम पर
कई बार छला गया।
जिसे अपनी पवित्रता
अग्निपरीक्षा देकर
बतानी पड़ी।
जिसे भरी सभा में
अपनों ने ही
उसके अपनों के सामने
ही अपमानित
किया गया।
जिसे विज्ञापनों में लाकर
बड़ी बड़ी कंपनियां
चलाई जा रहीं।
जिसे मात्र
अपनी इच्छापूर्ति
का साधन समझा जा रहा।
जिसे गर्भ में ही
मार देने के लिए
अनेकों यत्न किए जाते हैं।
जिसे अपनी इच्छाओं के
पंख फैलाने की अनुमति
समाज नहीं देता है ........

पूरी कविता पढ़ने के लिए इंस्टाग्राम पर जाइए।
लिंक:Bio me

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3 OCT 2020 AT 7:43

पर वो मेरा वाला है

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29 SEP 2020 AT 17:44

।।हो गई है आज मेंहदी,
कल पराई हो जाऊंगी।।

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26 SEP 2020 AT 11:16

मुरझाई है एक कली, फंसकर के कांटे में।
चीख रहे सन्नाटे मुझमें, मैं चीखूं सन्नाटे में।।

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