थी लगी बंदिशे तोड़कर आ गए।
नंगे पांवो से हम दौड़कर आ गए।
प्रेम से तुमने जब भी पुकारा हमें,
हम भरी महफिलें छोड़कर आ गए।
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Mujhe bhi pdhiye aur pasand aane par follow bhi kriye aur plzz follow krke fir un... read more
मैंने कब कहा था
की उम्र भर साथ निभाओ,
पर जब तक मेरी दुनिया में रहो
सिर्फ़ मेरे ही रहो.......
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मैंने कब कहा था
की उम्र भर साथ निभाओ,
पर जब तक मेरी दुनिया में रहो
सिर्फ़ मेरे ही रहो.......-
जिसे प्रेम के नाम पर
कई बार छला गया।
जिसे अपनी पवित्रता
अग्निपरीक्षा देकर
बतानी पड़ी।
जिसे भरी सभा में
अपनों ने ही
उसके अपनों के सामने
ही अपमानित
किया गया।
जिसे विज्ञापनों में लाकर
बड़ी बड़ी कंपनियां
चलाई जा रहीं।
जिसे मात्र
अपनी इच्छापूर्ति
का साधन समझा जा रहा।
जिसे गर्भ में ही
मार देने के लिए
अनेकों यत्न किए जाते हैं।
जिसे अपनी इच्छाओं के
पंख फैलाने की अनुमति
समाज नहीं देता है ........
पूरी कविता पढ़ने के लिए इंस्टाग्राम पर जाइए।
लिंक:Bio me-
मुरझाई है एक कली, फंसकर के कांटे में।
चीख रहे सन्नाटे मुझमें, मैं चीखूं सन्नाटे में।।-