Raghvendra Singh Tomar   (राघव)
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जितना ज्यादा सरल रहे हैं हम, जग को उतने कठिन लगे हैं हम।
Joined 30 August 2018


जितना ज्यादा सरल रहे हैं हम, जग को उतने कठिन लगे हैं हम।
Joined 30 August 2018
5 MAY 2021 AT 20:26

अगली नस्लें पूछेंगी
जब ये हुआ तो तुम क्यों खामोश थे??

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3 MAY 2021 AT 22:48

अगली नस्लें पूछेंगी
जब ये हुआ तो तुम क्यों खामोश थे ??

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23 SEP 2020 AT 8:48

तुम मेरा यकीन थे,
और मैं...तुम्हारी दुविधा।

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30 AUG 2020 AT 9:00

जिसे पाया ही नही,
उसे खोने का डर क्यों....

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17 APR 2020 AT 1:31

इतना भी बेहतर न खोजना मेरे दोस्त,
की
बेहतरीन को भी खो दो।

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17 APR 2020 AT 1:21

कुदरत का कहर भी जरूरी है जनाब,
हर कोई खुद को खुदा समझने लगा था।

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17 APR 2020 AT 1:17

किताबों के दौर से बाहर आ गए हैं हम,
जनाब
अब हमें जिंदगी पढ़ाती है।

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17 APR 2020 AT 1:07

कभी कभी लगता है भावनाओं का मर जाना बेहतर ही है,
साला किसी भी बात का दुःख थोड़ा कम महसूस होता है।

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1 APR 2020 AT 10:55

कितना खेलते झूमते थे,
खेत खलियानों में,
जिंदगी कैद हो गई अब,
शहर के फ्लैट और मकानों में।।

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3 SEP 2019 AT 6:50

राम कीन्ह चाहहिं सोइ होई।
करै अन्यथा अस नहिं कोई॥ 


◆रामचरितमानस◆
[बालकाण्ड दोहा १२७ चौपाई १]

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