Raghu Nayak Singh Baghel   (RAAZ)
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धर्मो रक्षति रक्षितः

Student of Law who loves to read, write and think.

#sui_generis
Joined 1 December 2017


धर्मो रक्षति रक्षितः

Student of Law who loves to read, write and think.

#sui_generis
Joined 1 December 2017
23 JAN 2022 AT 21:11

चार कमरों में बंद जिंदगी
जैसे बंद हैं आँसू आँख मे
सिमटे नज़ारे सिमटी दुनिया
बेचैन हैं निकलने की फिराक़ मे
न दिखता सूरज निकलते हुए
न दिखता वो डूबते हुए सांझ मे
कोई झूझ रहा खुद से
कोई गिर गया खुद की साख मे
पालीं जो उम्मीदें देखे ख्वाब कोई
बिखरे यूँ जैसे बिखरे कोई कांच मे
चार कमरों मे बंद जिन्दगी
जैसे बंद हैं आँसू आँख मे
~राज़

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28 DEC 2021 AT 20:14

अकर्मण्यता निराशा की जननी है।
-राज़

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18 DEC 2021 AT 19:34

सुनिये बहते पानी से
बातें प्रकांड ज्ञानी से

''ना जाने कितने भूपों को देखा,
देखे कितने ही ज्ञानी
जीवन का सार हूं मै,
तुम कहते मुझको बहता पानी''
~राज़
(पूरी कविता कैप्शन मे)

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12 DEC 2021 AT 18:33

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा ।
जो जस करहि सो तस फल चाखा ॥
~ गोस्वामी तुलसीदास

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1 DEC 2021 AT 19:38

जो हो गए हैं व्यस्त प्रेम की डगर में
भूले नहीं वापस लौट कर आना है घर में
~राज़

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7 OCT 2021 AT 19:44

बन के रह गये हम नदी के किनारे
जिससे जीते हम उसी से हारे

यूँ नही कट नही सकती जिंदगी
पर सफ़र अच्छा होता किसी के सहारे

परिंदो ने सारी जिंदगी हवा को दुश्मन माना
ये ना समझे की उड़ते थे उन्ही के सहारे

होती है कीमत सब की इस जहां मे
ना होती खिजाँ तो ना होती बहारें

जो गुज़र जाते हैं जिंदगी को छोड़ कर
क्या रोना जब वक्त हाथ ना हो हमारे

ये आरज़ू ये जुस्तजू ये गुमान पैसों का
कुछ नही अपना सिवा राम के हमारे
-राज़

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21 SEP 2021 AT 22:15

दुनिया की भीड़ में इक तेरा ही साथ है
ले थाम ले तू मुझे देख मैने बढ़ाया हाथ है

तू नही आयेगा तो कौन से रखुं आस मै
मै हूँ तेरा दास तू स्वामी तू मेरा नाथ है

मै नही जानता किसी और को यहाँ
तुझसे ही मिलने को मेरे सारे पुरुषार्थ है

तुम तो आते नही मुझसे मिलने आज कल
शायद रूठे हो जो मुझे छोड़ सब पर परमार्थ है

हे सखा हे प्रभो हे नाथ किस तरह पुकारू तुम्हे
कोई नही तेरे अलावा तू ही कृष्ण तू ही पार्थ है
-राज़

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15 SEP 2021 AT 20:02

उजाले की कीमत होगी नही कुछ अंधेरा रहने दो
हर कहानी पूरी हो जरुरी नही कुछ अधूरा रहने दो

भीड़ से दूर लीक से हटकर भी चलो कभी अकेले
जमी से जुड़ो आस्माँ को अपना बसेरा रहने दो

रास्ते कहीं भागते तो नही मंज़िल भी ठहरी हुई है
इस सफ़र को खूबसूरत करो या यूँ अधूरा रहने दो
~राज़



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6 SEP 2021 AT 11:42

जुगाड़ का आदमी
-राज़

(पूरा लेख कैप्शन में पढ़े)

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31 AUG 2021 AT 22:52

''राज़'' फूलों के होने से महकते हैं बाग
इश्क़ दो चार हो जाए तो गलत क्या है
-राज़

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