I like it when people remember me only in their bad times,
it shows that when their world is full of darkness and there is no ray of hope in sight,
they only remember me,,-
Raghavvats/youtube.com
मैं निर्दयी इतना की कोई मेरे सामने
तड़प कर मर जाये तो मुझे परवाह नहीं
और मैं दयालु इतना की मुझसे एक
चींटी भी मर जाए तो मैं शोक से भर जाऊं
मैं पापी इतना की मेरे कुकर्मों से
पाप भी कंपकपा जाए
और मैं पुण्यात्मा ऐसा की पुण्य भी
मुझसे दीक्षा लेने आए
मैं अधर्मी कुछ ऐसा की सब का
तिरस्कार करने में मुझे कोई गुरेज नहीं
और मैं धर्मात्मा ऐसा की प्राणों की
आहुति भी दे दूं धर्म की रक्षा हेतु
मैं असुर ऐसा की नर्क को भी
अपनी जूती की नोक पर रखूं
और मैं देवता ऐसा की
स्वर्ग को भी वरदान में दे दूं
मैं एक मनुष्य ऐसा जो
जीवन के उलझनों में और उलझता रहूं
और मैं ही वो मनुष्य ऐसा भी जो
जीवन के हर गहरे राज़ को सुलझा दूं
मैं निर्दयी इतना की कोई मेरे सामने
तड़प कर मर जाये तो मुझे परवाह नहीं
और मैं दयालु इतना की मुझसे
चींटी भी मर जाए तो मैं शोक से भर जाऊं-
मर्द हो तो तुम्हारी मर्दानगी में इतना तो रौब हो
के गुज़रे बगल से कोई औरत तो वो बेख़ौफ़ हो-
Those who use kindness as a strategy, those who take advantage of someone's innocence, naivety and honesty will meet a very bad fate one day.
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ये जो चंद रोज़ की कलाकारी सीख कर
अपने बाप को कलाकारी सीखाने वालों, पुत्तर
जिस उम्र में आप अ से अनार पढ़ते थे
उस उम्र में मैं अ से अलंकार पढता था-
तन मैला मेरा धोए नीर,
मन मैला धोए काशी कबीर,
दर आऊं तेरे तर जाऊं,
इस जग में ना कोई मुझसा अमीर,
ज़र्रा ज़र्रा हर कतरा मेरा,
डमरू की धुन बन मैं नाचूं फ़कीर,-
प्रेम करूं तो कुछ यूं करूं
की मृत्यु से भी लड़ जाऊ मैं
करूं, यम के नाक में दम करूं
छिन यमलोक से तुम्हे लाऊं मैं-
अघोरियों का साथ अच्छा लगता है
अब श्मशान में वास अच्छा लगता है
बस शिव का कैलाश अच्छा लगता है
अब एकांत निवास अच्छा लगता है-
शांत हूं एकांत में, मग्न हूं मैं ध्यान में
शून्य हूं भ्रमाण्ड में, तांडव हूं शमशान में
हूं अंत का प्रारम्भ मैं, आदि मैं अनंत मैं
अज्ञान के अंधकार में हूं ,ज्ञान का प्रकाश मैं
हूं वेद मैं पुराण मैं, हूं शास्त्र का ज्ञान मैं
हूं अग्नि मैं वायु मैं, हूं जल गगन और थल भी मैं
हूं परिचित हर अंजाम से, हूं आज मैं और कल भी मैं
हूं रुद्राक्ष इस व्योम में, हूं सूर्य का ॐ मैं
हुं त्रिनेत्र मैं त्रिकाल हूं अघोर रूप विकराल मैं
हुं सौम्य मैं सरल हूं मैं हुं सत्य मैं सौन्दर्य मैं
काल हूं महाकाल मैं वरदान हुं संघार मैं
हुं विष्णु दशावतार मैं हुं मोक्ष का द्वार मैं
हर निर्जीव में सजीव में, हूं धरा के हर जीव में
शुरूआत हूं और अंत मैं, हूं मृत्यु मैं, और प्राण मैं
भूत हूं भविष्य हूं, त्रिलोक का वर्तमान मैं
हूं देव मैं महादेव मैं, ब्रह्मा विष्णु महेश मैं
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"Never expect me to abandon you like Krishna had to abandon Radha, rather I will burn the whole world for your love like Shiva did to get Parvati back,,
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