Raghav Sachdeva   (Razak)
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Heal my wounds through poetry....but leave my scars on this page
Joined 5 January 2018


Heal my wounds through poetry....but leave my scars on this page
Joined 5 January 2018
24 OCT 2021 AT 23:54

इन बातों के बीच की खामोशी हूं,
बिन कहे बयां हो जाता हूं,
जो पढ़े मुझे तेरी अधूरी कहानी के बाद,
तेरी उस कहानी का सिलसिला हो जाता हूं।

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15 AUG 2021 AT 14:03

इक ख्वाहिश कि तिरंगा हर घर में रोज़ लहराया करता,
आज़ादी हर इंसान अपनी ज़िंदगी में रोज़ मनाया करता,
आज़ादी पहनावे की, प्यार की, आज़ादी होती विचार की,
किसी समय कहीं जाने में भी डर ना होता,
बाहर जा रहे हो "मगर" अंधेरे से पहले घर आना......काश उस आज़ादी में ये "मगर" ना होता,
जब हर धर्म हर जात को एक नज़र से देखा जाता,
किसी लड़की का रेप कर उसको सड़क पर अधमरा ना फेंका जाता,
उस आज़ादी में मर्द को भी दर्द का एहसास होता,
मर्दानगी को बचाने वो अकेले किसी कोने में ना रोता,
जहां किसी की 'ना' को ज़ोर-ज़बरदस्ती हां ना बोला जाता,
लड़का-लड़की को एक समान तराज़ू में तोला जाता,
तिरंगा सड़क पर पड़े कागज़ के समान ना होता,
जिस देश में कोई बच्चा भूखा ना सोता,
भारत की आज़ादी को भी जन्मदिन जैसा मनाया जाता,
मेरा आज़ाद भारत ऐसा होता जहां हर घर में तिरंगा लहराया जाता।।

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21 JUL 2021 AT 8:54

हमारे लिए उनकी यादें ही नशा बन गई है,
दिन के चार पहरो में पांचवे पहर सी जुड़ गई है,
दिल की दो आवाज़ों के बीच ये तीसरी आवाज़ जो नई है,
मानो खुदा है वो....अब दिखती मुझे हर कहीं है ।

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29 MAR 2021 AT 1:07

तुझ जैसी दुनिया बनना चाहे,
क्यों समझता है खुद को दुनिया में मज़ाक,
यूं तन्हा और अधूरा ना कर खुद को,
मत बन तू भी मुझसा, मत बन तू भी रज़ाक।।

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8 JUN 2020 AT 0:37

ख्वाबों का एक जहाज़ बनाना है,
समय की लहरों पर लेके जाना है,
मंज़िल का तो अभी कुछ सोचा नहीं,
लेकिन उसकी तलाश में चलते जाना है,
कहीं ठहर ना जाए ये जहाज़ इस समंदर में,
इसलिए ख्वाहिशों को जगाकर इसको रोज़ चलाना है,
आयेंगे भवंडर गम के कई, लेकिन तुझे मुस्कुराना है,
और मंज़िल की तलाश में चलते जाना है।


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5 JUN 2020 AT 3:21

काग़ज़ की दुनिया पर लिखा,
वो स्याही से मेरा प्यार है,
चंद बूंदों से जो वो मिट गया,
कुछ ऐसा मेरा इकरार है।

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18 MAY 2020 AT 3:47

कुछ मुफ्त में ना मिला,
मैंने सबकी कीमत चुकाई है,
कुछ की उसको पाने से पहले तो कुछ की उसको पाने के बाद,
कुछ को पैसों से तो कुछ को पाया जज़्बातों के साथ,
सच में...मुफ्त में कुछ ना मिला मुझे,
मैंने सबकी कीमत चुकाई है।

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8 NOV 2019 AT 2:27

कुछ दूर तक चलना, फिर अचानक रुक जाना,
कोई बहाना बनाना और वहां से चले जाना,
बस जाने से पहले सच मत बताना,
पहले की तरह वापस आओगी तो मै वहीं खड़ा मिलूंगा,
इंतज़ार करता रहूंगा तुम्हारे आने का,
बस जाने से पहले सच मत बताना,
कोई बहाना बनाना और वहां से चले जाना।।

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17 SEP 2019 AT 2:16

भीड़ बहुत है इन शहरों में,
हर तरफ एक नया किरदार है,
भीड़ बहुत है इन शहरों में,
इंसान को इंसानियत से कम जिस्म से ज़्यादा प्यार है,
भीड़ बहुत है इन शहरों में,
जहाँ जिस्म का लगता अलग ही बाज़ार है,
भीड़ बहुत है इन शहरों में,
जिसकी रूह मैली हो लेकिन जिस्म साफ़ हो वही उभरता किरदार है,
भीड़ बहुत है इन शहरों में........

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17 AUG 2019 AT 1:23

ना समझ मुझे ना-ख़ुदा अपना,
मैं भी तूफ़ान में डूब जाऊँगा,
ये आस ना लगा मुझसे ऐ रज़ाक,
तेरी उम्मीदों पर अब खरा ना उतर पाउँगा।।

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