हर मंजर का अपना एक रंग है
तुम जिसे ढूंढ रहे हो वो तुम्हारा अपना ढंग हैं
थोड़ा सा नज़रिया बदल कर देखो
ज़िन्दगी का हर पल मस्त मलंग हैं-
जब तुम हक़ीक़त हो
तो फिर मुझे ख्वाब क्यूँ लगते हो ?
आख़िर ये ख़्वाब हकीकत क्यूँ लगता है ?-
फिकर हमेशा रहती हैं अपनों की मुझें
पर किसी अनजान को ये दिल अपना मान लेगा
और ख़ुद से ज्यादा उसकी फिकर सताएगी
ये मैंने सोचा नही था
जब मैं तुमसे मिला नही था..
वक़्त के साथ हमेशा बदलता रहा हूँ ख़ुद को
सुना था प्यार में इंसान बदल जाता हैं
पर मैं ख़ुद भी इतना बदल जाऊँगा
इस बात पर हैरान था पर इतना नही था
जब मैं तुमसे मिला नही था..-
कविताएँ मैं पहले भी लिखा करता था
पर किसी शख्स के लिए लिखूँगा
ये सोचा नही था.. जब मैं तुमसे मिला नही था..
कोई शख्स इतना अच्छा होता हैं
ऐसे किसी इंसान से मैं मिला नही था
डर था किसी को खोने का पर इतना नही था
जब मैं तुमसे मिला नही था..
मंदिर मैं रोज जाता था
पर दुआओं में किसी को मांगा नही था
मैं बेबस था पर इतना नही था
जब मैं तुमसे मिला नही था..-
कभी रोता था कभी हँसता था
सूरज उगता था दिन ढल जाता था
मुस्कुराता मैं पहले भी था पर इतना नही था
जब मैं तुमसे मिला नही था..
खाली वक़्त में अक़्सर गाने सुनता था
पर किसी गाने को इतना महसुस नही किया था
जब मैं तुमसे मिला नही था..
दुसरो से अपनी हर बात मनवाता था
पर तुमसे बहस में यूँ हार जाऊँगा
ये मैंने सोचा नही था.. जब मैं तुमसे मिला नही था..-
उससे बात हो जाती है किसी बहाने,
उससे ज्यादा क्या माँगु मैं ख़ुदा से
सिलसिला चलता रहे बात होती रहे,
उससे ज्यादा क्या माँगु मैं ख़ुदा से
मर जाऊ जिस दिन बात ना हो उससे,
उससे ज्यादा क्या माँगु मैं ख़ुदा से
सुने ख़ुदा तो सिर्फ तुम्हें माँगु मैं उनसे,
उससे ज्यादा क्या माँगु मैं ख़ुदा से
मिलु मैं तुमसे ये चाह हैं कबसे,
आखिर में भी तुम मुझको ही मिलो
उससे ज्यादा क्या माँगु मैं ख़ुदा से-
Tum khayal ho mera
Khayalo me milta hun tumse
kab hkikat me milunga tumse
Bas esi khayaloto me uljha hun kabse
Tum mujhse jyada samjhdar ho
Kabhi es dil ka bhi to khayal kr
Tumhe har waqt rehti h meri fikr
Kabhi tubhi apni sehat ka khayal rkh
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माना एक वक़्त पर सब ठीक हो जाएगा
पर ये दर्द अब दिल से बर्दाश्त नहीं होता-